Thursday, November 28, 2024
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SGPGI: ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड डायटेटिक्स विभाग ने रक्तदान जन जागरूकता कार्यक्रम का किया आयोजन

Transfusion Medicine & Dietetics

लखनऊ: लखनऊ में आज रक्तदान से संबंधित जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड डायटेटिक्स विभाग द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में रक्तदान की जानकारी दी गई। बताया गया कि रक्तदान पूरी तरह से सुरक्षित है और हर स्वस्थ पुरुष तीन महीने में एक बार और हर महिला 4 महीने में एक बार रक्तदान कर सकती है। डायटेटिक्स विभाग की ओर से बताया गया है कि हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 ग्राम/100 मिली होना चाहिए।

आपको बता दें कि कार्यक्रम का आयोजन डाइटिशियन मोनिका दीक्षित व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के हेड डॉ धीरज खेतान के द्वारा किया गया।  कार्यक्रम की सह आयोजक डाइटिशियन प्रीति यादव एवं डाइटिशियन आयशा खातून थीं।

इसे बनाए रखने के लिए लोगों को भरपूर मात्रा में फल और हरी सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए। यहां आहार विशेषज्ञ ने बताया कि लोहे के बर्तन में खाना पकाने से भरपूर मात्रा में आयरन मिलता है, जो हीमोग्लोबिन बनाने में अहम तत्व होता है। इस अवसर पर नन्हे-मुन्ने बच्चों ने रक्तदान के महत्व पर नाटिका प्रस्तुति दी। इस संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने बताया कि एक यूनिट रक्त से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है. खून के अलावा प्लाज्मा और प्लेटलेट्स को भी एक खास प्रक्रिया से अलग किया जाता है और मरीजों की जान बचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। प्रोफेसर और एचओडी (न्यूरोसर्जरी) और ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज ने ट्रॉमा पीड़ितों में शीघ्र रक्तदान के महत्व को समझाया।

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डॉ. हर्षवर्धन, एचओडी हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, डॉ. प्रीति एलेंस, एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, डॉ. भरत सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन ने रक्तदान के महत्व के बारे में बताया। डायटेटिक्स विभाग के नोडल अधिकारी प्रोफेसर एलके भारती ने बताया कि हथेली और जीभ के रंग को देखकर व्यक्ति अपने हीमोग्लोबिन स्तर का अंदाजा लगा सकता है। अगर जीभ या हथेली का रंग लाल गुलाबी है तो हीमोग्लोबिन लगभग ठीक रहता है। छोटे बच्चों में एक ही यूनिट रक्त से दो या तीन बच्चों को दान किया जा सकता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में डायटीशियन मोनिका व संस्थान के अन्य डायटीशियन ने अहम भूमिका निभाई। कार्यक्रम में रक्तदान पर प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया, जिसमें मरीजों व उनके तीमारदारों को प्रोत्साहित करने के लिए फल वितरित किए गए।

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