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सीएम योगी ने शिक्षकों को दिया नियुक्ति पत्र, बोले-राज्य सरकार ने भर्ती में लागू की पारदर्शी प्रक्रिया

लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं में भर्ती की निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया लागू की है। वर्ष 2017 में सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में भर्ती की बाधाओं को समाप्त कर भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ करायी। अब तक के लगभग साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में साढ़े चार लाख युवाओं को विभिन्न राजकीय सेवाओं में नियोजित किया गया है। राज्य सरकार के पांच वर्ष पूर्ण होने पर 5 लाख नौजवानों को सरकारी सेवाओं में नियुक्ति दी जा चुकी होगी। इससे कई गुना अधिक नौजवानों को निजी क्षेत्र में नौकरी एवं रोजगार उपलब्ध करा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी ने लोकभवन में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के 2,846 नवचयनित प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापकों के ऑनलाइन पदस्थापन व नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा 11 नवचयनित प्रवक्ताओं एवं सहायक अध्यापकों को पदस्थापन व नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया। इन अध्यापकों का चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षों में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की रिक्तियों को तेजी से भरने का कार्य किया। इस दौरान बेसिक, माध्यमिक, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 1.5 लाख पद भरे गये हैं। भर्ती की प्रक्रिया पूरी निष्पक्षता, पारदर्शिता एवं आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए पूर्ण की गयी। आज राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए चयनित 2,846 प्रवक्ताओं और सहायक अध्यापकों का पदस्थापन मेरिट के आधार पर ऑनलाइन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी ने नयी शिक्षा नीति-2020 लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह नीति शिक्षा जगत में आमूल-चूल परिवर्तन, शिक्षण संस्थानों को सुयोग्य नागरिक देने वाले महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में स्थापित करने तथा शिक्षा को पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ नवाचार, नये शोध एवं नये अनुसंधान का माध्यम बनाने के लिए लागू की गयी है। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति से देश आगे बढ़ेगा और इसमें प्रत्येक विद्यार्थी को अनेक विकल्प उपलब्ध होंगे। नयी शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने के लिए तैयारी वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार आदि क्षेत्रों में अन्य जनपदों से पीछे रह गये प्रदेश के आठ जनपदों सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, चन्दौली, सोनभद्र, चित्रकूट व फतेहपुर को आकांक्षात्मक जनपद के रूप में चिन्हित किया गया है। इन जनपदों में नियुक्त होने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त परिश्रम की आवश्यकता है। शिक्षकों द्वारा बच्चों की शिक्षा के साथ ही उनके पोषण एवं स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। शिक्षक का शासन की योजनाओं से परिचित होना भी आवश्यक है, जिससे वह इन योजनाओं से विद्यार्थियों को परिचित कराने के साथ ही आवश्यकतानुसार उन्हें लाभान्वित भी करा सकें।

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कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में प्रदेश में व्यापक सुधार हुआ है। देश के अन्य राज्यों के लिए प्रदेश मॉडल राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश नई शिक्षा नीति-2020 को लागू करने वाला पहला राज्य है। मुख्यमंत्री के निर्देशन में राज्य में नकलविहीन पद्धति परीक्षा लागू की गयी। राज्य में पहली बार एनसीईआरटी के पैटर्न पर पाठ्यक्रम लागू किया गया। 12 दिनों में हाईस्कूल तथा 16 दिनों में इण्टरमीडिएट की परीक्षा सम्पन्न कराकर शीघ्र ही परिणाम भी घोषित किये गये। मार्कशीट, सर्टिफिकेट को ऑनलाइन प्राप्त करने की व्यवस्था बनायी गयी। अंक तालिकाओं पर कोडिंग की व्यवस्था लागू की गयी। आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर शिक्षकों का पदस्थापन नियुक्ति की जा रही है। प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में मुख्यमंत्री योगी का कार्यकाल स्वर्ण युग के रूप में जाना जाएगा। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश का तेजी से सामाजिक, आर्थिक विकास हो रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। प्रदेश के युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री को विकास पुरुष के साथ ही रोजगार पुरुष के रूप में भी जाना जाएगा।

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