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नई श्रम संहिताओं में संशोधन की मांग, श्रम मंत्री से मिला बीएमएस प्रतिनिधिमंडल

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नई दिल्लीः भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के एक प्रतिनिधिमंडल ने नई श्रम संहिताओं में संशोधन, पीएफ तथा ईएसआई से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपनी मांगों के संबंध में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव से मंगलवार को मंत्रालय में मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरण्यमय पंड्या, उपाध्यक्ष एस. मलेशम, क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार प्रमुख रूप से शामिल थे। बीएमएस नेताओं को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने आश्वस्त किया कि वह उनकी चिंताओं से पूरी तरह अवगत हैं। इस बारे में जो भी जरूरी होगा उसे लागू किया जाएगा।

बीएमएस ने कहा कि वह सामाजिक श्रम संहिता और वेतन/मजदूरी संहिता का स्वागत करता है, लेकिन औद्योगिक संबंध संहिता के अनेक प्रावधानों पर वह सहमत नहीं है। जैसे फिक्स्ड टर्म एम्प्लायमेंट का बीएमएस आरंभ से विरोध कर रहा है। श्रम संहिताओं में सरकार ने थ्रेसोल्ड लिमिट 100 से बढ़ाकर 300 की है तथा कांट्रेक्चुअल एवं फैक्टरी एक्ट में भी थ्रेसोल्ड लिमिट बढ़ाई है जिसका संगठन विरोध करता है।

बीएमएस नेताओं ने औद्योगिक संबंध संहिता के विभिन्न प्रावधानों पर चर्चा करते हुए ट्रेड यूनियन बनाने एवं चुनाव इत्यादि प्रक्रियाओं से संबंधित औद्योगिक संबंध संहिता कोड में किए गए प्रावधान से असहमति जताई है। उनका कहना है कि यह प्रावधान न केवल श्रमिकों के हितों का हनन करते हैं बल्कि प्रबंधकों के एकतरफा एवं मनमाने क्रियाकलापों की भी पैरवी करते हैं।

बीएमएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने कहा कि औद्योगिक संबंध संहिता के उन प्रावधानों पर सख्त आपत्ति जताई गई है, जिसमें किसी भी फैक्टरी या एस्टेब्लिशमेंट के अलग-अलग विभागों को अलग इकाई मान लिया गया है। इस नियम के लागू होने तथा थ्रेसोल्ड लिमिट बढ़ाने से देश का तकरीबन 99% कर्मचारी, मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा और उन्हें नई श्रम संहिता के अंतर्गत किसी भी प्रकार का सुरक्षा कवच नहीं मिलेगा। इसके मद्देनजर बीएमएस ने एस्टेब्लिशमेंट की परिभाषा में संशोधन करने की मांग की है। इसी के साथ बीएमएस ने नई यूनियन की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में अनावश्यक बाधाएं खड़ी करने के विरोध में तथा उन प्रावधानों में आवश्यक संशोधन के लिए अपने सुझाव दिए।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय चार श्रम संहिताओं- वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक श्रम संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियां संहिता के तहत नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। श्रम सुधार के क्रम में कार्य की प्रकृति के अनुरूप लचीलापन प्रदान करने और देश में बदलती कार्य संस्कृति के साथ तालमेल बनाने के लिए सरकार इन नए प्रावधानों पर विचार कर रही है। इन श्रम संहिताओं के कुछ प्रस्तावित प्रावधानों से बीएमएस सहमत नहीं है।

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