लंदन: लिंफोमा नामक ब्लड कैंसर के रोगियों को आने वाले समय में नया और बेहतर इलाज मिल सकता है। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी, न्यूयार्क के मेमोरियल स्लोआन केटरिंग कैंसर सेंटर और डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट, बोस्टन के संयुक्त शोध में सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इस शोध का लक्ष्य लिंफोमा कोशिकाओं को मारने के लिए विशिष्ट प्रोटीन केडीएम5 को नष्ट करने के बारे में जानकारी हासिल करना है।
लिंफोमा ब्लड कैंसर व्हाइट ब्लड सेल्स (डब्ल्यूबीसी), जिसे लिंफोसाइट्स कहते हैं, के बढ़ने से होता है। इसके जेनेटिक कोड में बदलाव (म्यूटेशन) से लिंफोसाइट्स अनियंत्रित रूप से बढ़ता है, जिसके कारण डब्ल्यूबीसी लिंफ नोड्स और अन्य ऊतकों में जमा होने लगता है। इसी से लिंफोमा की स्थिति बनती है। मुख्य तौर पर लिंफोमा दो प्रकार का होता है, हाजकिंस और नान-हाजकिंस लिंफोमा (एनएचएल), जिसके 60 से ज्यादा उप प्रकार होते हैं।
शोध में पाया गया है कि लिंफोमा के अनेक रोगियों में केएमटी 2डी जीन में एक या उससे अधिक म्यूटेशन होते हैं। केएमटी 2डी नामक यह जीन कोड उस प्रोटीन के लिए होता है, जिससे कि सेल के भीतर जीन की अभिव्यक्ति नियंत्रित होती है लेकिन म्यूटेशन के कारण केएमटी 2डी सही तरीके से काम नहीं कर पाता है, जिससे कि सामान्य सेल फंक्शन के लिए जरूरी जीन अभिव्यक्ति में बदलाव आ जाता है। यह बदलाव लिंफोमा के अधिकांश रोगियों में देखने को मिलता है।
हालिया प्रयोग के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि केडीएम5 प्रोटीन, जो केएमटी 2डी के खिलाफ काम करता है, उसके फंक्शन को यदि नियंत्रित किया जा सके तो केएमटी 2डी में होने वाले म्यूटेशन के असर को पलटा जा सकता है, जिससे लिंफोमा सेल्स को समाप्त किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने प्री-क्लिनिकल माडल में केएमटी 2डी म्यूटेशन को पलटने के लिए केडीएम5 को रोकने का तरीका खोज लिया है। उन्होंने बताया कि केएमटी 2डी म्यूटेशन तथा केडीएम5 इन्हीबिशन की पहचान से नान-हाजकिंस लिंफोमा का नया इलाज मिल सकता है।
यह भी पाया गया कि कुछ प्रकार के लिंफोमा में केएमटी 2डी म्यूटेशन सिर्फ 5-20 फीसदी ही पाया जाता है, लेकिन उसके एक उप प्रकार फॉलिक्युलर लिंफोमा में यह 80 प्रतिशत तक होता है। ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप में यह बहुत ही सामान्य है।
शोधकर्ता अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या केडीएम5 को निशाना बनाकर लिंफोमा के अनेक उप प्रकारों का इलाज किया जा सकता है। चूंकि केएमटी 2डी और उससे जुड़े जीन में म्यूटेशन कई अन्य प्रकार के कैंसर में देखे जाते हैं, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि केडीएम5 को निशाना बनाने से कई प्रकार के कैंसर रोगियों को फायदा हो सकता है।