Baby care Tips: उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों में अधिक ठंड पड़ रही है। जिसकी वजह से आम जन जीवन प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा ज्यादा ठंड में नवजात शिशुओं की देखभाल बेहद जरूरी है। मौसम में होने वाले बदलाव से उनकी सेहत सबसे ज्यादा प्रभावित होती है, अगर जरा भी लापरवाही सही नहीं है। इस बात की जानकारी खुद चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर की गृह वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने दी।
निमिषा अवस्थी ने बताया कि, नवजात शिशु की शारीरिक संरचना बहुत कोमल होती है। मौसम में होने वाले बदलाव की वजह से उनकी सेहत प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि, अगर बच्चे की पहली सर्दी है तो आपको उसकी देखभाल के लिए कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। वैज्ञानिक ने बताया कि, शिशु को थोड़ी देर के लिए धूप में लेकर बैठें क्योंकि सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन डी शिशु की हड्डियों के विकास के लिए काफी मददगार है।
कमरे का तापमान
उन्होंने बताया कि, ये बेहद जरूरी है जिस पर आम तौर पर मांओं का ध्यान नहीं जाता है। सर्दी के मौसम में कमरे का तापमान हमेशा 25-30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि, तापमान में स्थिरता बनी रहे। अगर आप शिशु को घर के एक से दूसरे कमरे में ले जाते हैं, तो भी इस बात का ध्यान रखें कि, वहां का तापमान भी एक समान रहना चाहिए।
शिशुओं की मालिश बेहद जरूरी
उन्होंने बताया कि, अब तक किए गए रिसर्च से ये साबित हो गया है कि, मालिश शिशु की मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में मददगार साबित होता है। इसके लिए आप अपनी पसंद के अनुसार ऑलिव या नारियल के तेल का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि, सर्दियों में सरसो के तेल या अन्य किसी गरम तेल का प्रयोग कर सकते हैं मालिश के बाद शिशु को बंद कमरे में हल्के गुनगुने पानी से नहलाएं और उसे ज्यादा देर तक बिना कपड़ों के खुला ना छोड़ें उसे ठंड लग सकती है।
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उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, बेहतर यही होता है कि शिशु को नहलाते समय अपने पास मदद के लिए कोई एक और व्यक्ति मौजूद हो। उस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि शिशु की नाक-कान में पानी न जाए। इसके लिए बच्चे का सिर ऊंचा रखें और कान में रुई लगा सकते हैं। प्रतिदिन नहाने से शिशु को गंदगी की वजह से होने वाले संक्रमण से बचाव होता है।
इसके अलावा उन्होंने बताया कि, बच्चे के कपड़ो की पहली सतह मुलायम सूती हो, ऊनी कपड़े सीधे बच्चे की स्किन से टच न हों। इससे एलर्जी होने की भी संभावना होती है। कुछ लोग बच्चों को कई सतह कपड़े पहना देते हैं, जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और बच्चा बेचैनी महसूस कर सकता है।
चिकित्सकों का कहना है कि कपड़ो की तीन सतह बच्चे को ठंड से बचाने के लिए काफी है और कान ढकने के लिए बच्चे को टोपी पहनाए। रात में सोते समय टोपी और मोजे उतार कर ही सुलाएं। सोते वक्त बच्चे का चेहरा हमेशा खुला रहे ताकि बच्चे को साफ हवा मिल सकें।
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