नई दिल्लीः चीन ने अरुणाचल सीमा पर अपने क्षेत्र में तीन गांव बसाए हैं। सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि यह तीनों गांव त्सारी नदी के तट पर ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है, यहां सशस्त्र संघर्ष भी हुए हैं। इसके अलावा सीमा से 5 किमी. दूर तवांग में नया सैन्य बुनियादी ढांचा भी खड़ा किया है। सेटेलाइट तस्वीरों के अनुसार यह स्थान बुम ला दर्रे से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर भारत, चीन और भूटान के ट्राइजंक्शन से नजदीक है। इतना ही नहीं, इन गांवों में चीन ने लोगों को भी बसा दिया है।
चीन द्वारा बसाए गये तीन गांवों में से एक त्सारी नदी के तट पर अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है। चीन ने यह गांव वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय अरुणाचल प्रदेश सीमा से 4.5 किलोमीटर दूर अपने क्षेत्र में बसाया है, जहां 100 से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। यह इलाका भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित है, क्योंकि यह क्षेत्र पहले भारतीय सीमा में ही था। यहां केवल चीन की सिर्फ एक चौकी हुआ करती थी, लेकिन आधिकारिक सरकारी नक्शे के अनुसार यह इलाका 1959 से चीन के नियंत्रण में है। चीन ने सीमा पर 1959 में असम राइफल्स पोस्ट पर कब्जा करके यह जमीन हथियाई थी। धीरे-धीरे चीन ने इस इलाके में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए एक पूर्ण गांव बसा लिया है। फिलहाल अभी यहां अत्याधुनिक तरीके के करीब 100 घर बनाए गए हैं लेकिन आगे यहां हजारों घर बनाए जा सकते हैं।
दरअसल सीमावर्ती इस इलाके में दोनों सेनाओं की 1962 के युद्ध में भिड़ंत हुई थी, इसके बाद भी चीनी सेना इस क्षेत्र से पीछे नहीं हटी और अक्साई चिन की तरह ही यह इलाका चीनी नियंत्रण में बना रहा। चीनी पीएलए ने 1990 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूर्वोत्तर के कई क्षेत्रों खासकर पूर्वी तिब्बत में, चुम्बी घाटी, भूटान और अरुणाचल प्रदेश के करीब अपनी सड़कों को बेहतर बनाने के लिए एक अभियान शुरू किया था। इसी दौरान त्सारी चू क्षेत्र में पीएलए ने भारतीय क्षेत्र के अंदर कम से कम 3 किमी. की दूरी पर एक प्रशासनिक बैरक स्थापित किया था, जिसमें एक जीप ट्रैक था। सीमा के पास इस क्षेत्र को लेकर चीन पहले से ही दावा करता रहा है। भारत के साथ गतिरोध के बीच चीन ने कई बार अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देने की बात कही है लेकिन भारत ने हमेशा चीन के दावे को ख़ारिज किया है।
सेटेलाइट तस्वीरों से जून 2018 में खुलासा हुआ था कि चीनी सेना रणनीतिक त्सारी चू घाटी में बेस स्थापित कर रही है। इसके बाद नदी के पूर्वी किनारे पर 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पोस्ट में सी आकार में तीन बैरकों की व्यवस्था की गई। समय बीतने के साथ पीएलए ने नदी के पश्चिम में लगभग 2600 मीटर ऊंचाई पर एक झोपड़ी बनाई और इसके बाद अरुणाचल प्रदेश सीमा के साथ अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के मकसद से चीन ने गांव बसा दिए। उपग्रहों के जरिये पृथ्वी का अवलोकन करने वाली संस्था @opsec_025 ने अपनी रिपोर्ट में 17 फरवरी, 2020 की सेटेलाइट तस्वीरों के आधार पर बताया था कि उस समय इस क्षेत्र में केवल एक ही गांव था, जिसमें 20 के आसपास लाल छतों वाले घर दिखाई देते हैं।
यह भी पढ़ेंः-भारतीय टीम के ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
इसके बाद जब 28 नवम्बर, 2020 की इसी क्षेत्र की दूसरी तस्वीर सेटेलाइट से ली गई तो इसमें 50 से अधिक घरों के साथ-साथ तीन नए एन्क्लेव भी दिखाई दे रहे हैं, जो एक दूसरे से एक किलोमीटर की दूरी पर बने हुए हैं। इनको जोड़ने के लिए सभी मौसम में खुली रहने वाली सड़क का भी निर्माण किया गया है। इसके अलावा सीमा से 5 किमी. दूर तवांग में नया सैन्य बुनियादी ढांचा भी खड़ा किया है। 1 नवम्बर, 2020 की ताजा सेटेलाइट तस्वीरों में त्सारी नदी के तट पर यह गांव बसा हुआ नजर आया है, जहां करीब 100 घरों का निर्माण नवम्बर में पूरा हुआ है। सेटेलाइट तस्वीरों के अनुसार यह स्थान बुम ला दर्रे से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर भारत, चीन और भूटान की सीमा के नजदीक स्थित है। इतना ही नहीं, इन गांवों में चीन ने लोगों को भी बसा दिया है।