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जेब में 500 रुपए और आंखों में बड़े सपने लेकर आए थे धीरू भाई अंबानी, ऐसे बने बिजनेस टायकून

ambani

नई दिल्लीः एक पेट्रोल पंप पर काम करने वाले आम आदमी से इंसान कितनी उम्मीद लगा सकता है कि क्या कभी वो देश के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शुमार होगा, लेकिन धीरू भाई अंबानी के आम आदमी से बिजनेस टायकून तक के सफर को देख कर कोई भी उनसे सीख ले सकता है कि कोई भी प्राणी छोटा नहीं होता बस एक सही शुरुआत की जरूरत है। अगर आज आज धीरू भाई अंबानी जिंदा होते तो अपना 88 वां जन्मदिन मना रहे होते। गुजरात के जूनागढ़ में 28 दिसम्बर 1932 को एक सामान्य परिवार में जन्मे धीरू भाई अम्बानी अपनी काबिलियत के बल पर शीर्ष तक पहुँच गए। जिस समय धीरू भाई अंबानी ने दुनिया को अलविदा कहा उस समय उनका नाम दुनिया के 150 सबसे अमीर लोगों शुमार था। लोगों का मानना है कि उनके दिग्गज कारोबारी बनने के पीछ यमन देश का बड़ा हाथ रहा।

भले ही आज मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर आदमी हैं, लेकिन उनके पिता धीरू भाई कभी 200 रुपए महीने की सैलरी पर काम करते थे। दरअसल, धीरू भाई 1950 में नौकरी के लिए यमन चले गए थे वहां उन्हें एक पेट्रोल पंप पर काम मिला। लेकिन दो साल बाद ही उनकी मेहनत से प्रसन्न होकर कंपनी ने मैनेजर बना दिया। महत्वाकांक्षी धीरू भाई अम्बानी का मन इन छोटे मोटे कामों में नहीं लगता था। वे तो अक्सर पैसा कमाने और व्यापार शुरू करने के तरीके खोजा करते थे।

इसी दौरान यमन में आजादी के लिए आंदोलन शुरू हो गए और वहां जगह जगह पर विरोध प्रदर्शन होने लगा। वहां माहौल खतरनाक होने के बाद धीरू भाई 1950 के आसपास भारत लौट गए। जब वे भारत लौटे तो उनकी तनख्वाह मात्र 1100 रुपये थी। यहाँ आकर धीरू भाई ने 15 हजार रुपये में रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की जो पॉलिएस्टर धागे और मसाले का काम करती थी। इस दौरान अंबानी और उनका परिवार मुंबई के भुलेश्वर स्थित ‘जय हिन्द एस्टेट’ में एक छोटे से अपार्टमेंट में रहता था।

बाजार की थी बखूबी पहचान

धीरूभाई अंबानी बाजार के बारे में बखूबी जानने लगे थे और उन्हें समझ में आ गया था कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की। जिसके बाद बिजनेस का आइडिया उन्हें यहीं से आया।

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उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी।