नई दिल्ली: पहले लोगों को बैंक से पैसे निकालने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता था, लेकिन ATM आने के बाद चीजें आसान हो गईं। आज के दौर में जब भी जरूरत हो, आप सिर्फ कार्ड का इस्तेमाल करके ATM (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) से आसानी से कैश निकाल सकते हैं। आइए जानते हैं दुनिया में एटीएम की शुरुआत कैसे हुई।
जानें किसने किया ATM का आविष्कार
भारत में जन्मे ब्रिटिश मूल के शेफर्ड बैरन को ATM की खोज का श्रेय दिया जाता है। एक बार जब वे बैंक से पैसे निकालने गए तो उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ा। इसके बाद उन्होंने चॉकलेट वेंडिंग मशीन देखकर सोचा कि जब मशीन चॉकलेट दे सकती है तो पैसे क्यों नहीं। इसके बाद बैरन ने खोज शुरू की और एटीएम का आविष्कार किया।
1969 में लगा था दुनिया का पहला एटीएम
ATM की शुरुआत आज से ठीक 43 साल पहले हुई थी। 2 सितंबर 1969 को दुनिया का पहला कार्ड आधारित ATM अमेरिका में लगा था। यह एटीएम न्यूयॉर्क के रॉकविल सेंटर के केमिकल बैंक में खोला गया था। जानकारी के अनुसार, दुनिया के पहले एटीएम की स्थापना का प्रचार करते हुए बैंक ने कहा, “हमारा बैंक 2 सितंबर को खुलेगा और फिर कभी बंद नहीं होगा।” इसके बाद, एटीएम मशीन धीरे-धीरे पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गई।
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जानें भारत में पहला एटीएम कब लगा
भारत में पहला एटीएम एचएसबीसी बैंक ने वर्ष 1987 में लगाया था। एटीएम की सुविधा के कारण देश में इसका नेटवर्क तेजी से बढ़ा और अगले दस सालों में देश में एटीएम की संख्या बढ़कर 1,500 हो गई। आज देश में 2.5 लाख से अधिक एटीएम हैं।
आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया है एटीएम
एटीएम आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया है और इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसे पूरी दुनिया में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ब्रिटेन में इसे ‘कैश पॉइंट्स’ और ऑस्ट्रेलिया में ‘मनी मशीन’ के नाम से भी जाना जाता है।