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Kamika Ekadashi 2023: कब है कामिका एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

kamika-ekadashi Kamika Ekadashi 2023: नई दिल्लीः सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस साल कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत गुरूवार (13 जुलाई) का रखा जाएगा। कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत करने से दीर्घायु और मोक्ष प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। एक वर्ष में 24 एकादशी (Ekadashi) तिथि पड़ती हैं, लेकिन जब अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। एकादशी (Ekadashi) का व्रत भगवान श्रीविष्णु की आराधना को समर्पित होता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। एकादशी के दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः“ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का शुभ मुहूर्त

श्रावण मास कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि 12 जुलाई को छह बजे से प्रारंभ होगी और 13 जुलाई को गुरुवार शाम 06.25 बजे इसका समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) का व्रत गुरूवार (13 जुलाई) को रखा जाएगा। व्रत का पारण 14 जुलाई (शुक्रवार) द्वादशी तिथि के दिन सुबह 05.50 बजे से 08.26 बजे तक तक किया जा सकेगा। पारण के बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा जरूर दें।

कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) की पूजन विधि

एकादशी (Ekadashi) व्रत को विवाहित अथवा अविवाहित दोनों कर सकते हैं। दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण कर अगले दिन एकादशी (Ekadashi) पर प्रातःकाल जल्दी उठें और स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें। पति-पत्नी संयुक्त रूप से लक्ष्मीनारायण जी की उपासना करें। पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पर एक साफ चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर श्रीगणेश, भगवान लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। ये भी पढ़ें..Sawan Month: सुहागनगरी में भीष्म पितामह के पिता ने बनवाया था शिव मंदिर, दिखते हैं कई चमत्कार चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें, उसमें उपस्थित देवी-देवता, नवग्रहों, तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रों एवं विष्णुसहस्रनाम के मंत्रों द्वारा भगवान लक्ष्मीनारायण सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाह्न, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, तिल, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। व्रत की कथा करें और आरती जरूर करें। पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरण करें। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)