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Bengal: राणाघाट सीट पर टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होगा, कैसा था पिछला चुनाव, पढ़ें पूरी खबर

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कोलकाता:  पूरे देश में लोकसभा चुनाव का सियासी दंगल जारी है। पश्चिम बंगाल में लड़ाई दिलचस्प है क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। सीपीआई (एम) और कांग्रेस मौखिक रूप से गठबंधन में हैं और भाजपा भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

राज्य की कई सीटें वीआईपी हैं, जिनमें नदिया जिले की राणाघाट सीट भी शामिल है। यहां से मौजूदा सांसद बीजेपी के जगन्नाथ सरकार हैं। पार्टी ने इस बार भी उन्हें टिकट दिया है। उनके खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने लोकप्रिय नेता मुकुटमणि अधिकारी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि सीपीआई (एम) ने भी अलकेश दास को टिकट दिया है। यहां चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग होनी है।

भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक इतिहास

राणाघाट पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक शहर और नगर पालिका है। यह राणाघाट उपमंडल का मुख्यालय है। यह अपने हथकरघा उद्योग, विभिन्न प्रकार के फूलों और उनकी खेती के लिए जाना जाता है।

राणाघाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं, जिनमें कृष्णानगर दक्षिण, शांतिपुर, राणाघाट उत्तर पश्चिम, कृष्णगंज (एससी), राणाघाट उत्तर पूर्व (एससी), राणाघाट दक्षिण (एससी) और चकदाहा शामिल हैं।

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राणाघाट सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जहां 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के सुकरू रंजन हलदर ने जीत हासिल की थी। 2014 में एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस ने अपना प्रभाव बरकरार रखते हुए जीत हासिल की और तापस मंडल सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल की 42 में से 34 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। राणाघाट सीट के इतिहास की बात करें तो आमतौर पर इस सीट पर कांग्रेस और सीपीआई (एम) के बीच सीधा मुकाबला होता है, लेकिन इस बार इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है।

2019 का जनादेश क्या है?

2019 के लोकसभा चुनाव में मिनाती बिस्वास कांग्रेस से चुनाव लड़ रही थीं जबकि रूपाली बिस्वास ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के टिकट पर चुनाव लड़ा था। गौतम राय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से उम्मीदवार थे। चुनाव मैदान में एक निर्दलीय उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। जगन्नाथ सरकार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे और उन्होंने जीत हासिल की। उन्हें सात लाख 83 हजार 253 वोट मिले जबकि तृणमूल उम्मीदवार को पांच लाख 49 हजार 825 वोट मिले।

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