लखनऊः प्रदेश में विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत 18 फरवरी को पूर्वाह्न 11 बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण से होगी। वह गुरुवार को विधानभवन में दोनों सदनों के सदस्यों के समक्ष अपना अभिभाषण देंगी। कोरोना संकट के कारण सदस्य शारीरिक दूरी का पालन करते हुए दूर-दूर बैठेंगे। इसके लिए दर्शक दीर्घा में भी सदस्यों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। बजट सत्र 18 फरवरी से शुरू होकर 10 मार्च तक चलेगा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना 22 फरवरी को पूर्वाह्न 11 बजे वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट को किताब के बजाय स्क्रीन पर पढ़ेंगे। इस बजट भाषण को सभी विधायक, विधान परिषद सदस्य अपने आईपैड में देख व पढ़ सकेंगे। इसके लिए विधायकों व विधान परिषद सदस्यों का आईपैड चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। तकनीक का प्रयोग करते हुए पेपरलेस बजट पहली बार प्रस्तुत किया जाएगा।
सम्भावना जतायी जा रही है कि इस बार के बजट में सरकार युवाओं के साथ किसानों पर खास फोकस कर सकती है। किसानों की सुविधाओं को लेकर बजट में बड़ी घोषणा की जा सकती है। वहीं स्किल डेवलपमेंट को लेकर बजट में कुछ खास देखने को मिल सकता है। सत्र के दौरान कई अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पास कराया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों के कामकाज पर सीएजी रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रखी जाएगी। इस बीच बजट सत्र में सत्ता पक्ष जहां राज्यपाल के अभिभाषण व बजट के जरिए अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच रखेगा। वहीं विपक्ष भी सदन के भीतर व बाहर सरकार को घेरने के लिए तैयारी कर रही है। इस वजह से दोनों सदनों के हंगामेदार होने के आसार हैं।
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माना जा रहा है कि किसान आन्दोलन व कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष हंगामा कर सकता है। इसी तरह पेराई सत्र 2020-21 के लिए गन्ना समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं करने को लेकर भी विपक्ष सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी के मुताबिक हर मोर्चे पर फेल सरकार को सदन के भीतर और बाहर भी आईना दिखाया जाएगा। वहीं बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा के मुताबिक जन अपेक्षाओं पर नाकाम रही सरकार अब जनता का ध्यान बांटने की कोशिश कर रही है। बसपा लोकतांत्रिक तरीकों से सरकार की विफलताएं उजागर करेगी। वहीं विपक्ष के तेवर देखते हुए सत्ता पक्ष भी इसका जवाब देने की तैयारी में हैं। मंत्री व सत्तारूढ़ दल के विधायकों को तैयारी के साथ अपनी बात सदन में रखने का कहा गया है। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक उत्तर प्रदेश में किसानों के आन्दोलन का कोई वजूद ही नहीं है। यहां किसानों का कोई आन्दोलन नहीं चल रहा है। किसानों के लिए जितना काम वर्तमान सरकार ने किया है उतना काम किसी भी सरकार ने नहीं किया है।