नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक की एक टीम का मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर देश की अर्थव्यवस्था के लिए पहली लहर की तुलना में ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। रिजर्व बैंक की अप्रैल महीने की बुलेटिन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना पर काबू पाने के लिए अलग-अलग राज्यों द्वारा लगाए जा रहे हैं प्रतिबंधात्मक उपायों की अवधि अगर लंबी हुई, तो अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा सकती है। साथ ही महंगाई अभी की तुलना में काफी अधिक हो सकती है।
रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन में डिप्टी गवर्नर देबब्रत पात्रा की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है के देश में कोरोना की दूसरी लहर तेज होती जा रही है। इस पर काबू पाने के लिए आने वाले दिनों में आवाजाही पर भी रोक लगाई जा सकती है। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इससे सप्लाई चेन प्रभावित होगी, जिससे महंगाई का दबाव बढ़ सकता है।
इसलिए कोरोना महामारी की मार के बीच देश के स्थाई और मजबूत विकास के लिए कोरोना प्रोटोकॉल अपनाने, टीकाकरण में तेजी लाने और चिकित्सीय सुविधा में बढ़ोतरी करने पर ध्यान देना होगा। ऐसा करके ही देश को कोरोना के दुष्प्रभावों से बाहर निकाला जा सकता है। इस रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ये निष्कर्ष टीम में शामिल लोगों के विचार हैं और इसे आरबीआई का विचार नहीं माना जाना चाहिए।
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रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर पिछले साल की पहली लहर की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। वायरस के म्यूटेशन की वजह से ये बीमारी और भी खतरनाक हो गई है। यही कारण है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में लॉकडाउन जैसी सख्त पाबंदी लागू करनी पड़ी है। अन्य कई राज्यों में वीकेंड लॉकडाउन, धारा 144 और नाइट कर्फ्यू जैसे उपाय अपनाने पड़े हैं लेकिन ये सारे प्रतिबंधात्मक उपाय अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ने वाले हैं। इनसे देश की अर्थव्यवस्था पर लगातार दबाव बढ़ेगा। इनकी वजह से महंगाई बढ़ने की आशंका को भी बल मिला है।