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सोना-चांदी में नरमी का रुख, बाजार से दूर रहें छोटे निवेशक

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नई दिल्ली: सोने और चांदी की कीमत में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। नरम वैश्विक संकेतों के बीच आज सोने की कीमत में चौथे कारोबारी सत्र के दौरान गिरावट का रुख बना। शुरुआती कारोबार में भी एमसीएक्स पर सोना वायदा गिरावट दिखाते हुए 47456 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर कारोबार कर रहा था। चांदी मई वायदा में भी गिरावट का रुख बना रहा। चांदी 129 रुपये गिरकर 68709 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गई।

घरेलू बाजार की तरह ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमत में गिरावट का रुख देखने को मिला। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं के सापेक्ष डॉलर की मजबूती के कारण सोने के दामों पर दबाव पड़ा है। जिसकी वजह से हाजिर सोना 0.1 फीसदी गिरकर 1777.93 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। सोने की तर्ज पर ही अन्य कीमती धातुओं में भी गिरावट का रुख नजर आया। चांदी 0.3 फीसदी गिरकर 26.12 डॉलर प्रति औंस पर आ गई, जबकि प्लैटिनम की कीमत 0.4 फीसदी लुढ़क कर 1238.57 डॉलर के स्तर पर आ गई।

जानकारों का कहना है कि डॉलर इंडेक्स 0.16 फीसदी बढ़कर 90.922 के स्तर पर पहुंच गया है। जिसकी वजह से अन्य मुद्राओं में कारोबार करने वाले लोगों के लिए सोना अधिक महंगा हो गया है। राहत की बात यही है कि बेंचमार्क यूएस ट्रेजरी की यील्ड 1.570 फीसदी के स्तर पर स्थिर बनी हुई है। जिसके कारण सोना इसके दबाव से फिलहाल मुक्त है।

सर्राफा बाजार के जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के कारण सोने की सुरक्षित निवेश में मांग बढ़ने की संभावना है। ऐसे में एमसीएक्स पर जून वायदा के लिए 47300 रुपये प्रति दस ग्राम के भाव के आसपास सोने की खरीद की जा सकती है। लेकिन जोखिम को देखते हुए इसमें 47000 रुपये का स्टॉप लॉस लगाना होगा। हालांकि कुछ कारोबारियों को दावा है कि अगले दो कारोबारी सत्रों में सोना 47800 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच सकता है।

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इसी तरह एमसीएक्स पर चांदी मई वायदा में 68300 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत के आसपास खरीदारी करने और इसमें 67500 का स्टॉप लॉस रखने की सलाह दी गई है। चांदी के अगले दो कारोबारी सत्रों के दौरान 69800 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। इससे साफ है कि सोना और चांदी दोनों में ही लाभ और नुकसान की संभावनाएं बराबर हैं। बाजार में जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से उतार चढ़ाव जैसे हालात बने हुए हैं, उनमें छोटे निवेशकों को फिलहाल वायदा बाजार से दूर रहने की ही नीति अपनानी चाहिए।