लखनऊः प्रदेश में संचालित डीजल-पेट्रोल वाहनों की तर्ज पर ई-रिक्शा (e-rickshaw) की भी उम्र तय करने की तैयारी है। इसके लिए परिवहन विभाग शासन को प्रस्ताव भेजने जा रहा है। ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या को लेकर यह कदम उठाया जा रहा है। दरअसल, राजधानी में करीब 33 हजार ऐसे ई-रिक्शा हैं, जो अनफिट हैं। परिवहन विभाग की ओर से गठित समिति की सर्वे में यह बात सामने आई है।
पंजीकृत 60 प्रतिशत ई-रिक्शा हो चुके हैं अनफिट
परिवहन विभाग के अफसरों के मुताबिक, आठ वर्षों में लखनऊ में करीब 55 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हुए हैं। इनमें से 60 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनकी फिटनेस खत्म हो गई है। इनका नवीनीकरण और रोड टैक्स न जमा करने से परिवहन विभाग को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। नए प्रस्ताव के तहत अन्य वाहनों की तरह ई-रिक्शा से भी रोड टैक्स लेने की व्यवस्था बनाई गई है। हालांकि, ई-रिक्शा के पंजीकरण और आयु निर्धारित करने पर निर्णय केंद्र सरकार के हाथ में है। इसके लिए प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से अनुरोध करेगी।
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ई-रिक्शा की भी तय होगी उम्र
विभागीय सूत्रों की मानें तो ई-रिक्शा की आयु पांच से सात वर्ष के बीच रखने का प्रस्ताव है। आयु तय होने से इनकी संख्या पर अंकुश लग सकेगा। आयु पूरी कर चुके ई-रिक्शा निष्प्रयोज्य किए जा सकेंगे। माना जा रहा है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 में संशोधन के बिना जिस प्रकार से राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी (NGT) ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर (NCR) में 10 वर्ष पुराने डीजल व 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर 2015 से रोक लगा दी थी, उसी प्रकार से ई-रिक्शा (E-Rickshaw) के पंजीकरण व आयु पर भी केंद्र सरकार फैसला करेगी। गौरतलब है कि लखनऊ समेत कई बड़े शहरों में ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या जाम का सबब बनती जा रही है। सब्सिडी न मिलने के बावजूद लगातार ई-रिक्शा पंजीकृत हो रहे हैं।
रिपोर्ट- पंकज पाण्डेय