अजमेरः अब राजस्थान लोक सेवा आयोग न्यायालय में रिपोर्ट पेश कर बिना योग्यता के भर्ती परीक्षाओं में आवेदन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। इसके लिए दो राज्यों के 14 अभ्यर्थियों को चिन्हित किया गया है। इनमें जयपुर के पांच, अलवर के दो, उत्तर प्रदेश के दो तथा बांसवाड़ा, चूरू, धौलपुर, पाली व दौसा के एक-एक अभ्यर्थी शामिल हैं। इन पर नए कानून के तहत मामला दर्ज होगा।
क्या होगा इस एक्शन का रिएक्शन
इन सभी ने पांच से 15 विषयों में सहायक आचार्य (संस्कृत शिक्षा विभाग) परीक्षा के लिए आवेदन किया था, जबकि ये अभ्यर्थी इन विषयों की परीक्षा में आवेदन करने की पात्रता नहीं रखते थे। आयोग सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि ऐसे अभ्यर्थियों के कारण आयोग को परीक्षा के आयोजन में लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ये अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल भी नहीं होते। इस निर्णय के बाद ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि 8 से 19 सितंबर तक सहायक आचार्य (संस्कृत शिक्षा) परीक्षा के लिए 37 हजार 918 ने आवेदन किया था।
इसके पीछे हो सकता है बड़ा कारण
इसमें से 8350 ही परीक्षा देने आए। परीक्षा में केवल 22 फीसदी ही शामिल हुए। ऐसे में आयोग को प्रति अभ्यर्थी 400 रुपए का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि इसमें आरपीएससी को समय और धन दोनों की हानि हुई है। इसके चलते फर्जी आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय लिया गया। सचिव मेहता ने बताया कि जब फॉर्म भरा जाता है तो इन लोगों के मोबाइल पर ओटीपी भी जाता है। इनमें से कई को पता ही नहीं होता कि उनका फॉर्म कौन भर रहा है। ऐसे अभ्यर्थी न केवल आयोग के कामकाज को प्रभावित करते हैं बल्कि इसके पीछे कोई बड़ा कारण भी हो सकता है। हम इसकी तह तक जाने का प्रयास करेंगे।
धारा 217 के तहत दर्ज होगा केस
इसके चलते हम पहली बार कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। आयोग के अनुसार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 217 के तहत रिपोर्ट पेश करने की तैयारी कर ली गई है। फिलहाल 14 अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसे अभ्यर्थियों को आयोग की भर्ती परीक्षाओं से वंचित करने की कार्रवाई की जाएगी। आयोग सचिव के अनुसार किसी संवैधानिक संस्था या सरकारी विभाग को जानबूझकर गलत जानकारी देने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 217 के तहत कार्रवाई की जाती है।
एक साल की जेल के साथ लगेगा जुर्माना
इसके लिए 1 साल तक की जेल या 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं। मुख्य परीक्षा नियंत्रक आशुतोष गुप्ता ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा के लिए कई लोगों ने अलग-अलग फॉर्म भरे हैं। जैसे किसी अभ्यर्थी ने पांच से ज्यादा फॉर्म भरे हैं। इसका मतलब है कि उसने पांच से ज्यादा विषयों में एमए किया है। ऐसे में उन्हें जांच के दायरे में लिया गया है। कई अभ्यर्थियों ने 15 विषयों के फॉर्म भरे हैं। लाखों का होता है खर्च गुप्ता ने बताया कि परीक्षा कराने के लिए औसतन प्रत्येक अभ्यर्थी पर 400 रुपये खर्च होते हैं।
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ऐसे में लाखों अभ्यर्थियों के अनुपस्थित रहने से पेपर छपवाने, पेपर पहुंचाने, सेंटर की व्यवस्था करने, परीक्षकों की नियुक्ति, चेकिंग पर काफी पैसा खर्च होता है। यह खर्च करीब करोड़ों रुपये होता है। इसके लिए अब बेवजह और बिना योग्यता के फॉर्म भरने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। इससे आने वाले समय में ऐसे अभ्यर्थियों पर लगाम लगेगी। साथ ही ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए दूसरे विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं।
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