सरकार की गलत नीतियों का शांतिपूर्ण विरोध करना विपक्ष का अधिकार है। मगर विगत आठ वर्ष में सरकार का नकारात्मक विरोध ही होता रहा है। इससे अंततः विपक्ष की ही प्रतिष्ठा धूमिल होती है। ऐसा लगता है कि विपक्षी पार्टियों की अपनी कोई नीति ही नहीं है। उसके नेता आंदोलनजीवियों का ही मनोबल बढ़ाते हैं। फिर उनकी लगाई आग में सियासी रोटी सेंकने का प्रयास करते हैं। अग्निपथ योजना के विरोध में भी ऐसा ही आंदोलन शुरू हुआ है। इसका विरोध वही लोग कर रहे हैं, जिनमें आत्मानुशासन और आत्मविश्वास का अभाव है। चार वर्ष की सेवा के बाद भी रोजगार के अवसर समाप्त नहीं होंगे।अभ्यर्थी अर्थिक रूप से भी स्वावलंबी होंगे। सेना में चार वर्ष की सेवा जीवनशैली को बदल देगी। समाज और देश को देखने का नजरिया ही बदल जाएगा। इसके बाद वह जहां भी कार्य करेंगे, वह औरों से अलग दिखाई देगा। तब वह किसी आंदोलनजीवियों के इशारे पर राष्ट्रीय संपत्ति को आग के हवाले नहीं करेंगे। फिलहाल वर्तमान सरकार के प्रत्येक कदम पर उपद्रव और हंगामा करने वाले एक बार फिर सक्रिय हैं। विगत आठ वर्षों के दौरान विकास के अनगिनत कीर्तिमान स्थापित हुए। सैकड़ों लोक कल्याणकारी योजनाओं से जन सामान्य को लाभान्वित किया गया। रक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत अभियान संचालित है। इसके उल्लेखनीय प्रमाण मिल रहे हैं। दशकों से लंबित लाखों करोड़ रुपये की परियोजनाओं को इस अवधि में पूरा किया गया। वन रैंक वन पेंशन की मांग चार दशकों से लंबित थी। वर्तमान सरकार ने इसे लागू किया । यूपीए सरकार के समय से सैन्य कमांडर राफेल लडाकू विमान सहित अनेक अस्त्र शस्त्रों को भारतीय सेना के लिए अपरिहार्य बता रहे थे। क्योंकि चीन अपनी सामरिक शक्ति लगातर बढ़ा रहा था। इस ओर भी वर्तमान सरकार ने ध्यान दिया।लंबित रक्षा सौदों का क्रियान्वयन हुआ। इसके साथ ही स्वदेशी रक्षा उत्पाद का नया अध्याय शुरू हुआ। आज भारत पचहत्तर देशों को रक्षा सामग्री का निर्यात कर रहा है। सीमा क्षेत्र में अभूतपूर्व निर्माण कार्य किए गए। कोई भी सरकार देश के सभी युवाओं को सरकारी नौकरियां नहीं दे सकती। इसको ध्यान में रखते हुए स्वरोजगार की अनेक योजनाएं लागू की गई।
अग्निवीरों में से पच्चीस प्रतिशत को सेना की सुव्यवस्थित सेवा में समायोजित करने की बात महत्वपूर्ण है। शेष युवाओं को अर्धसैनिक बल,असम राइफल्स आदि में प्राथमिकता के आधार पर समायोजित किया जाएगा।स्वरोजगार के लिए सरकार उनको प्राथमिकता के आधार पर ऋण उपलब्ध कराएगी। आंदोलनजीवियों को बताना चाहिए कि 17 से 21 आयु वर्ग के युवा कौन सी नौकरी कर सकते है। अग्निपथ योजना के तहत भारतीय युवाओं को अग्निवीर के रूप में चार साल के लिए सशस्त्र सेवाओं में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। सेनाओं की ट्रेनिंग देने के बाद इन्हें पाकिस्तान-चीन सीमा पर तैनात किया जाएगा। सशस्त्र सेनाओं से निकलने के बाद इन ‘अग्निवीरों’ को केंद्र सरकार के मंत्रालयों और राज्य सरकारों की नौकरियों में प्राथमिकता दी जायेगी। रक्षा मंत्रालय की यह स्कीम युवाओं को देशसेवा का मौका देने के साथ ही उन्हें तकनीकी तौर पर भी सुधारने में मदद करेगी। इस योजना से विभिन्न क्षेत्रों में नए कौशल के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ‘अग्निपथ’ योजना के तहत सशस्त्र बलों का युवा प्रोफाइल तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। अन्य देशों के मॉडल का अध्ययन किया गया। इसके बाद युवाओं के हित में निर्णय लिए गए हैं। अग्निवीर भविष्य के लिए तैयार इस सैनिक का हिस्सा होगा। अग्निवीर भारत के युवा रक्षक होंगे। चार साल सेना में रहने के बाद अग्निवीर का बायोडाटा बहुत ही अनोखा होगा। वह देश के अन्य युवाओं की भीड़ से अलग होंगे। देश के साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को सशस्त्र बलों की सेवा करने का मौका दिया जायेगा। इन्हें 4.76 लाख से 6.92 लाख रुपये का सालाना पैकेज दिया जाएगा। अग्निवीरों को उच्च तकनीकी वातावरण में प्रशिक्षित किया जाएगा। अगले एक दशक में सेना का आधा हिस्सा अग्निवीर होंगे। इस साल चालीस हजार भर्तियों से शुरुआत की जाएगी। सशस्त्र बलों में अधिकारियों को छोड़कर सभी भर्तियां ‘अग्निपथ’ योजना के तहत ही की जाएंगी। चार वर्षों के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों की भर्ती करने की योजना से सेना की व्यावसायिकता, रेजिमेंटल लोकाचार और लड़ाई की भावना प्रभावित होगी। कार्यक्रम का उद्देश्य रक्षा कर्मियों को नागरिक क्षेत्र में नौकरियों के लिए तैयार करना है। अग्निवीरों की भविष्य की करियर संभावनाओं को बढ़ाने के लिए और उन्हें नागरिक क्षेत्र में विभिन्न नौकरी की भूमिकाओं के लिए सुसज्जित करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय रक्षा कर्मियों की सेवा के लिए एक विशेष, तीन वर्षीय कौशल आधारित स्नातक डिग्री कार्यक्रम शुरू कर रहा है जो रक्षा प्रतिष्ठानों में उनके कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा प्राप्त कौशल प्रशिक्षण को मान्यता देगा।
इस कार्यक्रम को इग्नू द्वारा डिजाइन और निष्पादित किया जाएगा। अग्निवीरों को स्नातक डिग्री के लिए आवश्यक पचास प्रतिशत क्रेडिट कौशल प्रशिक्षण तकनीकी और गैर-तकनीकी से आएगा और शेष पचास प्रतिशत भाषा, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, गणित, शिक्षा, वाणिज्य, पर्यटन, व्यावसायिक अध्ययन, कृषि और ज्योतिष, पर्यावरण अध्ययन और संचार कौशल में एबिलिटी इन्हान्समेंट कोर्स जैसे विषयों की एक विस्तृत विविधता को कवर करने वाले पाठ्यक्रमों से आएगा। यह कार्यक्रम यूजीसी मानदंडों के साथ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अनिवार्य राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के साथ जुड़ा हुआ है। इसमें कई निकास बिंदुओं का भी प्रावधान है। तीन वर्ष की समय सीमा में सभी पाठ्यक्रमों के पूरा होने पर डिग्री मिलेगी। इस कोर्स को रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में न केवल भारत में बल्कि विदेश में मान्यता प्राप्त होगी।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ योजना’ भारतीय युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के लिए एक आकर्षक भर्ती योजना है। अग्निवीरों को भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा के उपरान्त प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा एवं सम्बन्धित अन्य सेवाओं की नौकरियों में प्राथमिकता प्रदान करेगी। अग्निपथ योजना के माध्यम से युवाओं को देश की सेवा करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान करने का अनूठा अवसर प्राप्त होगा। यह योजना देश की तीनों सेनाओं की मानव संसाधन नीति में एक नए युग की शुरुआत है। इससे सशस्त्र बलों का प्रोफाइल युवा और ऊर्जावान होगा। सशस्त्र बलों में युवा और अनुभवी कर्मियों के बीच एक अच्छा संतुलन सुनिश्चित होगा। अग्निपथ योजना के तहत दसवीं पास ‘अग्निवीर’ नौकरी के दौरान राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से बारहवीं कक्षा का प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे। प्रमाणपत्र पूरे देश में नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए मान्य होगा। इससे अग्निवीरों को जीवन में बाद में समाज में उत्पादक भूमिका निभाने के लिए पर्याप्त शैक्षिक योग्यता और कौशल हासिल करने में मदद मिलेगी।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री