Saturday, November 30, 2024
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मां भगवती के डोली पर आगमन से बढ़ेंगी परेशानियां, हाथी पर विदाई शुभ फलदायी, जानें पूजा की सामग्री

नई दिल्लीः मां भगवती की पूजा कर शक्ति पाने का व्रत नवरात्र शुरू होने में अब तीन दिन शेष रह गए हैं। सात अक्टूबर को कलश स्थापना और मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ नवरात्र शुरू हो जाएगा। इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण बढ़ने की आशंका के मद्देनजर किसी भी प्रकार के मेला के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। पंडाल भी विशेष थीम पर नहीं बनाए जाएंगे लेकिन भगवती की पूजा अर्चना भव्य तरीके से सादगी पूर्ण माहौल में होगी। नवरात्र के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए और मां भगवती को लाल गुड़हल के फूल से पूजा करना विशेष फलदायक होता है।

डोली पर होगा मां भगवती का आगमन
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा (पैरवा) के दिन सात अक्टूबर को 3.38 शाम तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। भगवती का आगमन डोली पर हो रहा है, जो कष्टदायक है, इसलिए पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ नवरात्रि व्रत करनी चाहिए। कहा जाता है कि ‘डोलायां मरणं ध्रुवम’ यानि डोली से आने वाली माता प्राकृतिक आपदा, महामारी आदि की तरफ इशारा करती हैं। वहीं मां की विदाई हाथी पर हो रही है। जो शुभफल का सूचक है। कहा जाता है हाथी पर विदाई अच्छी वर्षा का प्रतीक है। आठ अक्टूबर को द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारी स्वरूप, नौ अक्टूबर को तृतीय स्वरूप चन्द्रघण्टा, दस अक्टूबर को चौथे स्वरूप कूष्माण्डा तथा 11 अक्टूबर को पंचमी तिथि 6.39 पूर्वाहन तक है, उसके बाद षष्ठी का प्रवेश होता है। इसी दिन भगवती के पंचम स्वरूप स्कंदमाता एवं षष्ठ स्वरूप कात्यायनी की पूजा होगी, गज पूजा एवं बेल आमंत्रण दिया जाएगा। इसके बाद 12 अक्टूबर को सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा, पत्रिका प्रवेश एवं सरस्वती आह्वान होगा। 13 अक्टूबर को आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा, अष्टमी व्रत, संधी पूजा, निशा पूजा एवं रात्रि जागरण होगा। बुधवार को अष्टमी रहने केे कारण विशेष शुभ मुहूर्त बन रहा है, इस दिन दीक्षा ग्रह का भी हस्त नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि योग है। 14 अक्टूबर को माता के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा, हवन और बलि प्रदान होगा। इसके बाद 15 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन सुबह में अपराजिता पूजा, कलश विसर्जन, जयंती धारण और नवरात्र पारण के साथ नीलकंठ दर्शन करना चाहिए। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है तथा किसी भी दिशा में यात्रा की जा सकती है।

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पूजा की सामग्री
देवी मां की प्रतिमा या फोटो
लाल चुनरी
लाल वस्त्र
कलावा
श्रृंगार का सामान
दीपक
घी या तेल
धूप
नारियल
अक्षत
कुमकुम
पान
सुपारी
लौंग
कपूर
बताशे या मिसरी
फल और मिठाई
फूल

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