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कृष्ण जन्माष्टमी पर गरमाई सियासत, सीएम मोहन के आदेश पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, मिला करारा जवाब

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MP, भोपालः मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को सभी संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को आदेश जारी करते हुए कहा कि 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हर जिले में कृष्ण मंदिरों की साफ-सफाई की जाए और वहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इसके अलावा सभी सरकारी, गैर सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में कृष्ण की शिक्षा, मित्रता और जीवन दर्शन पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इस आदेश के बाद कांग्रेस लगातार मध्य प्रदेश की मोहन सरकार पर हमलावर हो रही थी।

कांग्रेस ने सरकार के इस आदेश को शिक्षा का रूपांतरण बताया तो राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसका जवाब दिया। सीएम मोहन यादव ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के आशीर्वाद से धन्य भूमि है। राज्य में स्थित भगवान श्री कृष्ण से संबंधित सांदीपनि आश्रम, नारायण धाम, अमझेरा धाम और जानापाव धाम को राज्य सरकार द्वारा तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। आइए! जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हम सब मिलकर इन धामों को याद करें।

कांग्रेस के आरोपों पर सीएम का जवाब

सीएम मोहन यादव ने कहा कि भगवान कृष्ण ने 5 हजार साल पहले शिक्षा का महत्व समझाया था। भगवान कृष्ण मथुरा से शिक्षा ग्रहण करने के लिए उज्जैन आए थे। इससे बड़ा सौभाग्य कब आएगा? गरीब और अमीर की दोस्ती का सबसे बड़ा उदाहरण नारायण धाम में कृष्ण-सुदामा की दोस्ती है। भगवान कृष्ण की वीरता के प्रतीक स्थल को सामने लाने में क्या बुराई है?

उन्होंने आगे कहा कि अगर हम जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण के स्थलों को याद नहीं करेंगे तो मथुरा को क्यों याद करेंगे? अगर मथुरा में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है तो क्या कांग्रेस के लोग मथुरा जाना बंद कर देंगे? यह अनादर है, बेतुकी बातें कहना है।

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कांग्रेस ने क्या आपत्ति जताई?

सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस ने कहा कि शिक्षण संस्थान शिक्षा का केंद्र होते हैं और इन्हें सिर्फ शिक्षा के लिए ही रहने देना चाहिए। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आता कि राज्य सरकार शिक्षण संस्थानों को बर्बाद करने के पीछे क्यों पड़ी है। धार्मिक आयोजनों के दिन स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी होती है और सभी धर्मों के लोग अपने-अपने तरीके से इस दिन को मनाते हैं। एक तरफ आप शिक्षण संस्थानों में जन्माष्टमी को अनिवार्य बनाते हैं और दूसरी तरफ हमारे मदरसों पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने पूछा था, आप क्या चाहते हैं?

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