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आंबेडकर जयंती के जरिए दलित वोट साधने में लगे हैं राजनीतिक दल

लखनऊः उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव में राजनीतिक दलों की बाढ़ से वोटों का समीकरण गड़बड़ा रहा है। इस दौरान महापुरूषों की जयंती के आयोजनों के जरिए भी वोटों का समीकरण ठीक करने के प्रयास हो रहे हैं। 14 अप्रैल को बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती भी ऐसा अवसर है। जब सभी दल एक स्वर में दलित वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर जयन्ती की पूर्व सन्ध्या पर 13 अप्रैल को दीपोत्सव कार्यक्रम के तहत बाबा साहब की प्रतिमाओं पर दीप जलाये जाएंगे। वहीं 14 अप्रैल को सभी बूथों पर पार्टी के पदाधिकारी, प्रदेश सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर, आयोगों-निगमों के अध्यक्ष व सदस्य सहित जनप्रतिनिधि व कार्यकर्ता बाबा साहब के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित करके नमन करेंगे। शुक्ल ने बताया कि इस दौरान पार्टी सेवा बस्तियों में पहुंचकर विभिन्न सेवा कार्यों के माध्यम से डॉ. आम्बेडकर को कृतज्ञ श्रद्धासुमन अर्पित करेगी। इसके अलावा समाजवादी पार्टी भी 14 अप्रैल को दलित दीवाली मनाने का ऐलान कर चुकी है। पार्टी ने कार्यकर्ता कार्यालय, अपने घरों व सार्वजानिक स्थलों पर दीप जलाकर बाबा साहब को श्रद्धा के साथ नमन करने का एलान किया है।

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इसके साथ ही अखिलेश यादव ने यह भी कहा है कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को सक्रिय कर असमानता-अन्याय को दूर करने व सामाजिक न्याय के समतामूलक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उनकी जयंती पर जिला, प्रदेश व देश के स्तर पर सपा की ‘बाबा साहेब वाहिनी’ का गठन किया जाएगा। वहीं बसपा मंडल स्तर पर कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए बाबा साहब को अपनी श्रद्धांजलि देंगे। बसपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस दौरान देश एक महामारी के दौर से गुजर रहा है। मण्डल स्तर के पदाधिकारी अपने यहां के सार्वजनिक स्थलों पर बाबा साहब को श्रद्धाजंलि देंगे। वहीं रालोद ने भी आंबेडकर जयंती के मौके पर क्षेत्रीय व जिला स्तर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम करने की घोषणा की है।