नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने सोमवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 और संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का उद्घाटन किया। उन्होंने सहकारिता आंदोलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन का वैश्विक सम्मेलन पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा है।
21वीं सदी के उपकरण और नई भावना मिलेगी
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि इस सम्मेलन के माध्यम से हमें भारत की भावी सहकारी यात्रा के बारे में जानकारी मिलेगी। साथ ही भारत के अनुभवों के माध्यम से वैश्विक सहकारी आंदोलन को 21वीं सदी के उपकरण और नई भावना मिलेगी। प्रधानमंत्री ने सहकारिता को भारतीय संस्कृति का आधार बताया और कहा कि सहकारिता भारत के लिए जीवन पद्धति है। उन्होंने कहा कि सहकारिता ने स्वतंत्रता आंदोलन को भी प्रेरित किया है। इससे न केवल आर्थिक सशक्तिकरण में मदद मिली बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों को एक सामूहिक मंच भी मिला।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज ने सामुदायिक भागीदारी को फिर से नई ऊर्जा दी। उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग जैसे क्षेत्रों में एक नया आंदोलन शुरू किया और आज हमारी सहकारिता खादी और ग्रामोद्योग को बड़े से बड़े ब्रांड से भी आगे ले गई है। इस अवसर पर भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, फिजी के उप प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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70 साल के लंबे इंतजार के बाद देश में सहकारिता मंत्रालय खुला
इससे पहले अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष शुरू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को धन्यवाद दिया और कहा कि यह फैसला दुनिया भर के करोड़ों किसानों, महिलाओं और गरीबों के सशक्तिकरण के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने कहा कि आज सहकारिता वर्ष की थीम- ‘सहकारिता सबकी समृद्धि का द्वार है’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले धागों में पिरोया था, जिससे देश की करोड़ों महिलाओं, लाखों गांवों और किसानों की समृद्धि का रास्ता खुला। 70 साल के लंबे इंतजार के बाद देश में सहकारिता मंत्रालय खुला।
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