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टेरर फंडिंग मामले में हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े लोगों ने कबूला गुनाह, 80 करोड़ रुपए...

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नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर अफेक्टेड रिलीफ ट्रस्ट (JKART) टेरर फंडिंग मामले में हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़े चार लोगों ने शुक्रवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपना जुर्म कबूल कर लिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने चारों के बयान दर्ज किए। मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी।

अदालत ने आरोपी को अपराध का इकबालिया बयान दर्ज करने से पहले उसके परिणामों से अवगत कराया। इसके बाद चारों ने खुद ही अपना जुर्म कबूल कर लिया और अपने बयान दर्ज करवा लिए। जिन चार आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल किया है उनमें मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, मुजफ्फर अहमद डार और मुश्ताक अहमद लोन शामिल हैं।

ईडी ने उस पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से 80 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त करने का आरोप लगाया था। उन सभी पर यूएपीए के अलावा आपराधिक साजिश रचने, राज्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का मामला दर्ज किया गया था।

इनके खिलाफ दायर चार्जशीट में कहा गया है कि हिज्बुल मुजाहिदीन नियमित रूप से पड़ोसी देश से फंड लेता रहा है। इस पैसे का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के सिलसिले में लोगों को मारने के लिए किया गया है। दरअसल, सलाहुद्दीन पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 2004 से 2011 के बीच पाकिस्तान से करीब 80 करोड़ रुपये लेने का आरोप है। मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर एनआईए ने जांच की और चार्जशीट दाखिल की। एनआईए की चार्जशीट में सलाहुद्दीन के अलावा मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, गुलाम नबी खान, उमर फारूक शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट्ट, नजीर अहमद डार, अब्दुल मजीद सोफी और मुबारक शाह को भी आरोपी बनाया गया है।

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