जोधपुर: भारत सरकार की New education policy 2020 के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से सामान्य शिक्षा के साथ-साथ विशेष शिक्षा में भी नए प्रावधान लागू किए जाएंगे। भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा संचालित 2 वर्षीय विशेष शिक्षा शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रमों को अब 4 वर्षीय एकीकृत पाठ्यक्रम में परिवर्तित किया जाएगा।
शैक्षणिक सत्र 2025-26 होंगे प्रवेश
केंद्रीय पुनर्वास मंत्री वीरेंद्र कुमार की मौजूदगी में पुनर्वास परिषद के पदाधिकारियों, विशेष शिक्षा विशेषज्ञों और इस क्षेत्र में काम करने वाले प्रशासकों ने भाग लिया। नीति के मसौदे पर चर्चा के बाद यह अंतिम रूप दिया गया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 से इन पाठ्यक्रमों में सभी प्रवेश इसी के अनुसार किए जाएंगे। वर्तमान में जोधपुर जिले में विशेष शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करने वाली 14 संस्थाएं कार्यरत हैं।
कार्ययोजना बनाने में आ रही परेशानी
शिक्षाविद् एवं प्रेरक वक्ता और शैक्षिक मनोवैज्ञानिक डॉ. बीएल जाखड़ ने कहा कि इस प्रणाली से विशेष शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक प्रशिक्षण दिया जा सकेगा। हालांकि यह निर्णय काफी देरी से लिया गया है, जिससे शिक्षण संस्थाओं को अपनी कार्ययोजना बनाने में परेशानी आ रही है और वे विद्यार्थी भी असमंजस की स्थिति में हैं, जिन्होंने इस वर्ष विशेष शिक्षा पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं लिया। विशेष शिक्षा शिक्षक संघ की प्रियंका कंवर ने बताया कि यह निर्णय काफी देरी से लिया गया है।
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श्रवण बाधित शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. शेषनाथ यादव ने भी कहा कि नई व्यवस्था भारत के विजन 2040 के अनुरूप है और शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दिशा में कारगर कदम है। आने वाले दिनों में तय होगा कि प्रवेश प्रक्रिया का प्रारूप क्या होगा और तीसरे वर्ष में पाठ्यक्रम छोड़ने वाले विद्यार्थियों को किस स्तर की डिग्री प्रदान की जाएगी। विशेष शिक्षा से जुड़े जोधपुर जिले के विषय विशेषज्ञों, संस्था प्रशासकों और विद्यार्थियों ने नई व्यवस्था का स्वागत किया है।
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