नई दिल्ली: तीनों कृषि सुधार कानूनों की वापसी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान का मुस्लिम संगठनों ने स्वागत करते हुए इसे लोकतंत्र की जीत बताया है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सरकार की तरफ से देर से ही सही मगर सही फैसला किया गया है। मुस्लिम संगठनों ने इसे किसानों के लिए अच्छा कदम करार दिया है और सरकार से मांग की है कि इन तीनों कानूनों को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में रद्द किया जाना चाहिए और किसानों से बातचीत करके उनकी तमाम लंबित मांगों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी तीनों कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान का स्वागत करते हुए इसे किसानों की जीत बताया है। उनका कहना है कि किसानों ने एक लंबा संघर्ष करके यह जीत हासिल की है जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने आज तीन कृषि कानूनों को वापस लिया है, उसी तरह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की भी वापसी की घोषणा की जानी चाहिए।
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जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान को लोकतंत्र और किसानों की जीत बताया है। जमात-ए-इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि हमें लगता है कि कृषि कानूनों को निरस्त करना अपरिहार्य था और यह लोकतंत्र एवं देश के किसानों के लिए एक बड़ी जीत है। स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सलमान अहमद ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान देशभर के किसानों एवं अन्य लोगों के संघर्ष एवं बलिदान की जीत है। हम सरकार से मांग करते हैं कि किसानों की अन्य जायज़ मांगों को तुरंत पूरा किया जाए।
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