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दक्षिणी राजस्थान का आंदोलन उपद्रव में तब्दील, दर्जनों वाहनों में आग लगाई

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उदयपुरः शिक्षक भर्ती में खाली रहे अनारक्षित वर्ग के पदों को आरक्षित एसटी वर्ग से भरने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए कुछ दिन पहले जनजाति युवाओं द्वारा शुरू किया गया आंदोलन अब उपद्रव में तब्दील हो गया है। आंदोलन की मूल मांग बेरोजगारों को रोजगार से हटकर उपद्रवी भीलीस्तान, अलग भील प्रदेश, हमें चाहिए आजादी जैसे नारे लगा रहे हैं जिससे यह आशंका हो चली है कि आंदोलन अपने उद्देश्य से भटककर अराजक तत्वों के हाथों में चला गया है।

शनिवार को लगातार तीसरे दिन उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे उपद्रवियों के कब्जे में रहा। उपद्रवियों ने हाइवे पर बने होटलों को निशाना बनाया। इनमें जमकर तोडफ़ोड़ की गई। प्रदर्शन के दौरान करीब 7 कंटेनर के साथ कुल 55 वाहनों को आग के हवाले किया जा चुका है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से फोन पर बात कर डूंगरपुर के हालात पर चर्चा की है। मिश्र ने शनिवार शाम प्रमुख सचिव गृह अभयकुमार और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था सौरभ श्रीवास्तव को राजभवन बुलाया और उन्हें इस हिंसा पर तत्काल नियंत्रण के निर्देश दिए।

जनजाति वर्ग के इन उपद्रवियों ने डूंगरपुर जिले की सीमा से गुजर रहे उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर डेरा डाल रखा है। यह दायरा अब उदयपुर-डूंगरपुर की सीमा पर स्थित खेरवाड़ा तक पहुंच चुका है। जिसके चलते खेरवाड़ा-ऋषभदेव में अगले 24 घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। खेरवाड़ा से उदयपुर की तरफ परसाद तक पुलिस-प्रशासन एहतियात बरत रहा है। दूसरी तरफ, प्रतापगढ़ जिले में अरनोद, धरियावद और पीपलखूंट में भी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। बांसवाड़ा जिले में बांसवाड़ा शहर और छोटी सरवन को छोडक़र पूरे जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। आंदोलन के केन्द्र डूंगरपुर में शुक्रवार से ही इंटरनेट सेवाएं निलम्बित कर दी गई थीं साथ ही निषेधाज्ञा लागू कर दी गई।

उदयपुर संभाग के उदयपुर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा जिलों में लागू की गई निषोधाज्ञा में रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड, चिकित्सकीय संस्थान, राजकीय एवं सार्वजनिक कार्यालय, विद्यालय एवं महाविद्यालयों में प्रयुक्त होने वाले परीक्षा कक्ष स्थानों को एवं पंचायत चुनाव से संबंधित भवनों व गतिविधियों को मुक्त रखा गया है। निषेधाज्ञा विवाह-समारोह, शव यात्रा पर लागू नहीं होगा परन्तु विवाह समारोह के संबंध में संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट को पूर्व सूचना दिया जाना अनिवार्य है एवं इनमें कोविड-19 हेतु निर्धारित संख्या से ज्यादा लोगो का एकत्रित होना अनुमत नहीं होगा। रैली-जुलूस, अस्त्र-शस्त्रों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, सोशल मीडिया को भी निषेधाज्ञा के दायरे में ले लिया गया है। भडक़ाने वाली सामग्री सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा– “हिंसक आंदोलन के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। धरने पर बैठे आंदोलनकारियों से किसी ने भी बात करने का प्रयास नहीं किया। बाहर से आये शरारती तत्वों ने इनके बीच आकर भड़काऊ भाषण दिए और आंदोलन हिसंक हो गया। खेरवाड़ा में आईजी और कलेक्टर की मौजूदगी में हिंसा हुई, लेकिन पुलिस के हाथ बांध रखे थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समय रहते शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिन्होंने बाहर से आकर इस क्षेत्र के अशांति पैदा की है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। आंदोलनकारी लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखें। हिंसा और आगजनी करके अगर कुछ प्राप्त करने का प्रयास किया तो क्षेत्र में भारी अशांति पैदा होगी।”

उदयपुर के पूर्व सांसद और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रघुवीर मीणा भी चिंता जता चुके हैं कि बाहरी तत्व इस आंदोलन को रक्तरंजित करने पर तुले हुए हैं और यहां के जनजाति युवा उनके बहकावे में हैं।