कोलकाताः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के तहत पहले चरण में 27 मार्च को जिन 30 विधानसभा सीटों पर मतदान होने हैं, उनमें मेदनीपुर सीट राजनीतिक तौर पर बेहद अहम है। 2011 और 2016 के विधानसभा चुनावों में यहां तृणमूल कांग्रेस का कब्जा रहा लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी ने यहां बेहतरीन प्रदर्शन किया और सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल को पीछे छोड़ दिया। इस बार 2021 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत का लक्ष्य लेकर भाजपा आगे बढ़ रही है। खास बात यह है कि यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है और यह समुदाय बड़े पैमाने पर ममता बनर्जी के खिलाफ लोकसभा में मतदान कर चुका है। इसलिए इस बार लड़ाई दिलचस्प है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
पश्चिम मेदिनीपुर जिले के इस विधानसभा क्षेत्र में शहरी आबादी 49.48 फ़ीसदी जबकि ग्रामीण आबादी 50.52 फ़ीसदी है। विधानसभा क्षेत्र में एससी और एसटी का अनुपात क्रमशः 14.74 और 10.05 है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय यहां मतदाताओं की संख्या 266395 थी। 300 मतदान केंद्रों पर वोटिंग हुई थी। इस बार मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ी है। उस समय 84.53 फ़ीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
2016 विधानसभा चुनाव के आंकड़े
इसके पहले 2016 के विधानसभा चुनाव के समय कुल 84.95 फ़ीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। यहां से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार मृगेंद्र नाथ माइती को जीत मिली थी। उन्हें 106774 लोगों ने वोट दिया था जबकि दूसरे नंबर पर सीपीआई के उम्मीदवार संतोष राणा थे, जिन्हें 73787 लोगों ने वोट दिया था। भाजपा ने तुषार मुखर्जी को टिकट दिया था, जिन्हें 22567 लोग वोट किए थे।
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इस बार किस पार्टी से कौन है उम्मीदवार
2019 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर जीत दर्ज करने के लक्ष्य के साथ सुमित दास को उम्मीदवार के तौर पर घोषित कर चुकी है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेत्री जून मालिया और माकपा-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन ने तरुण कुमार घोष को टिकट दिया है। तृणमूल ने जहां सेलिब्रिटी उम्मीदवार पर भरोसा जताया है वहीं भाजपा और माकपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार जमीन से जुड़े हुए हैं और इनके बीच दिलचस्प मुकाबले के आसार हैं।