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निजीकरण की नीतियों के विरोध में हड़ताल करेंगे बिजलीकर्मी

लखनऊः निजीकरण की नीतियों के विरोध में देश भर के बिजली कर्मी दो दिवसीय हड़ताल करेंगे। हड़ताल में देश भर के राज्यों के 15 लाख बिजली कर्मी व अभियंता शामिल होंगे। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की वर्चुअल बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके साथ ही चंडीगढ़ के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के राष्ट्रीय फेडरेशन के पदाधिकारी आगामी 01 फरवरी को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगे।

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ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि बैठक में आगामी 23 व 24 जनवरी को दो दिवसीय हड़ताल का फैसला लिया गया है। जिसमें देश भर के राज्यों के 15 लाख बिजली कर्मचारी व अभियंता शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि एक फरवरी को केंद्र शासित प्रदेशों की बिजली के निजीकरण के विरोध में चंडीगढ़ व पांडुचेरी के बिजली कर्मी एक दिन की हड़ताल करेंगे। इन केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली कर्मियों के समर्थन में देश भर के बिजली कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ का विद्युत विभाग लगातार फायदे में चल रहा है। वर्ष 2020-21 में चंडीगढ़ के विद्युत विभाग ने 257 करोड़ रुपए का लाभ कमाया है। इस दौरान चंडीगढ़ की विद्युत हानियां सिर्फ 09.2 प्रतिश रही जबकि चंडीगढ़ का टैरिफ हरियाणा और पंजाब से काफी कम है। लाभ के बावजूद विद्युत विभाग का निजीकरण स्वीकार्य नहीं है और इसके विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

पुरानी पेंशन नहीं तो वोट नहीं

यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बिजली कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन नहीं तो वोट नहीं का ऐलान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र भेजकर मांग की है कि चुनाव घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन बहाली, सरकारी-सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद करने, प्रदेश को सस्ती बिजली देने के लिए सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर उप्रराविपलि का गठन करने, नियमित पदों पर नियमित भर्ती और आउटसोर्स-संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण की मांग को शामिल किया जाए। समिति ने चेतावनी दी है कि राजनीतिक दलों ने उक्त विषयों को अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया तो बिजली कर्मी पुरानी पेंशन नहीं तो वोट नहीं का अभियान चलाएंगे। समिति ने साफ तौर पर ऐलान किया कि प्रदेश के बिजली कर्मी व उनका परिवार उन राजनीतिक दलों को वोट नहीं करेंगे जो पुरानी पेंशन बहाली का वादा नहीं करेंगे। समिति ने इस संबंध में पत्र सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को प्रेषित किया है।

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