Jharkhand Monsoon Session: हंगामे की भेंट चढ़ा तीसरा दिन, रिक्रूटमेंट पाॅलिसी पर उठाए सवाल

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Jharkhand Monsoon Session: रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र (Jharkhand Monsoon Session) के तीसरे दिन मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने राज्य की नियुक्ति नीति और कानून व्यवस्था को लेकर सदन के अंदर और बाहर हंगामा किया। बीजेपी विधायक राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की भी मांग कर रहे थे। शून्यकाल और प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गये।

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले बीजेपी विधायक मनीष जयसवाल, बिरंची नारायण, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, जेपी पटेल आदि ने तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। इन तख्तियों पर राज्य में कानून-व्यवस्था फेल होने, नियोजन नीति के नाम पर छात्रों को ठगने जैसे नारे लिखे थे। विधायकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

झारखंड विधानसभा (Jharkhand Monsoon Session) की कार्यवाही सुबह 11.07 बजे शुरू हुई। अध्यक्ष अपनी सीट पर बैठते ही प्रश्नकाल शुरू होने की घोषणा करते हैं। इससे पहले बीजेपी सचेतक बिरंची नारायण ने नियोजन नीति का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि झारखंड में नियोजन नीति नहीं बनी है और 26001 नियुक्तियों का विज्ञापन जारी कर दिया गया है। कोई इस मामले को हाई कोर्ट में ले जाएगा और युवाओं का भविष्य अधर में लटक जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे सभी बीजेपी विधायक वेल में पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

हंगामे के बीच लिए गए सवाल

स्पीकर उनसे प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक मानने को तैयार नहीं थे। इस बीच, बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि सदन कल भी बाधित रहा और आज भी। यह नौबत क्यों आई? पहले दिन जब कार्यमंत्रणा की बैठक हुई तो तय हुआ कि अध्यक्ष नियोजन नीति, स्थानीयता और कानून व्यवस्था पर सदन में बहस करायेंगे। विपक्ष में होने के नाते सरकार से जवाब मांगना भाजपा का अधिकार है। हंगामे के बीच कई विधायकों के सवाल लिये गये।

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कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा

प्रश्नकाल के दौरान जब बीजेपी के मनीष जयसवाल ने कानून-व्यवस्था का सवाल उठाया तो स्पीकर ने उनसे प्रश्नकाल के दौरान पूर्व निर्धारित प्रश्न पूछने को कहा। इस पर बीजेपी विधायकों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया और स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। शून्यकाल शुरू होते ही भाजपा सदस्य फिर वेल में पहुंच गए और हंगामा करने लगे। हंगामे के बीच ही कुछ सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाये। इसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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