कोलकाताः डॉ. अबुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज के निदेशक डॉ. स्वरूप प्रसाद घोष ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में तेजी से मुसलमानों की जनसंख्या का बढ़ना चिंताजनक है। साल्ट लेक स्थित ईस्ट जोन कल्चरल सेंटर में गुरुवार देर शाम को आयोजित पाञ्चजन्य संवाद कार्यक्रम में डॉ. घोष ने कहा कि बंगाल को अपना खोया हुआ गौरव पाना होगा और यह तभी सम्भव है, जब हम ढाका की तरफ देखने की बजाय दिल्ली की तरफ हाथ बढ़ाएंगे। इस अवसर पर आरएसएस पूर्वी क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख श्रीविद्युत मुखर्जी, पाञ्चजन्य के सम्पादक हितेश शंकर तथा प्रख्यात लेखक रास बिहारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता तरुण घोष ने की।
पश्चिम बंगाल की रक्तरंजित राजनीति पर आधारित रास बिहारी की तीन पुस्तकों के विमोचन के उपरांत श्रीविद्युत मुखर्जी ने कहा कि इन पुस्तकों में तथ्यपरक पड़ताल के साथ बताया गया है कि कैसे वामपंथ शासन की खूनी राजनैतिक हिंसा तृणमूल सरकार में लगातार बेकाबू होती चली गई। बंगाल के आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक हालात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लोग बाहरी का मुद्दा उठाकर बंगाल के विकास में बाधा खड़ी करने की साजिश रच रहें हैं।
पाञ्चजन्य के सम्पादक हितेश शंकर ने कहा कि बंगाल अब बदलाव के मूड में है। लोग हिंसा की राजनीति से छुटकारा चाहते हैं। बंगाल को बेरोजगारी और आर्थिक बदहाली से निकलकर विकास और खुशहाली के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा।
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लेखक, पत्रकार और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया के अध्यक्ष रास बिहारी ने पुस्तकों का विवरण देते हुए कहा कि राजनीतिक हिंसा की बड़ी वजह बंगाल में सत्तारूढ़ रहे दलों द्वारा सत्ता पर काबिज होने के लिये माफिया और सिंडिकेट को प्रश्रय देना है। उन्होंने कहा कि बंगाल में राजनीतिक हत्याओं को छिपाने का पहले से सिलसिला चल रहा है। प्रशासन और पुलिस सत्ताधारी दलों के आगे नतमस्तक होकर विरोधी दलों के खिलाफ काम करते हैं। ममता सरकार में राजनीतिक हिंसा तेज़ी से बढ़ी है।