नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के एक अनुसंधान दल ने कम लागत में पानी से हाइड्रोजन ईधन बनाने का एक प्लांट विकसित किया है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर अंकुश लगाने की आवश्यकता के साथ 21वीं सदी में वैश्विक ऊर्जा की मांग में वृद्धि ने शोधकर्ताओं को विकल्प के रूप में स्वच्छ और हरियाली ऊर्जा स्रोतों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है।
यह प्रोजेक्ट संस्थान के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रो. श्रीदेवी उपाध्याय, प्रो. अशोक एन भास्करवार, प्रो. अनुपम शुक्ला और भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. सास्वत भट्टाचार्य की देखरेख में कम ईंधन उत्पादन के लिए अनुसंधान किया है। टीम के अन्य शोधकर्ताओं में शैलेश पाठक, किशोर कोंडामुडी (केमिकल इंजीनियरिंग विभाग) और शिखा सैनी, भौतिकी विभाग शामिल हैं।
अध्ययन में, तेल और प्राकृतिक गैस निगम ऊर्जा केंद्र (ओईसी), भारत के सहयोग से आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने सल्फर-आयोडीन (एसआई) थर्मो केमिकल हाइड्रोजन चक्र के माध्यम से पानी को सफलतापूर्वक विभाजित किया और साफ हाइड्रोजन तैयान किया है। इसकी औद्योगिक खपत हो सकती है। हाइड्रोजन गैस, जीवाश्म ईंधन के नवीकरणीय विकल्प के रूप में एक व्यवहार्य विकल्प, उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकता है।
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इस संबंध में प्रो. श्रीदेवी उपाध्याय ने कहा, अब पानी जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर स्विच करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए इस प्रोजेक्ट को अनुकूल माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर काम करते हुए अनुसंधान कर्ताओं के लिए सल्फ्यूरिक एसिड के सल्फर डाइ ऑक्साइड और ऑक्सीजन में रूपांतरण के लिए उर्जा गहन और संक्षारक उत्प्रेरक की डिजाइन तैयार करना एक बड़ी चुनौती रही। हालांकि अब इसे पेटेंट करा लिया गया है। साथ ही इस प्रोजेक्ट को संस्थान में प्रदर्शित भी किया गया।