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सरकार ने दी टैक्स में छूट, परिवहन विभाग ने लिया वसूल

लखनऊः साल 2020 में कोरोना के चलते पूरे देश में 24 मार्च से लाॅकडाउन लगा दिया गया था। जिसके बाद दो महीने से अधिक समय तक प्रदेश समेत पूरे देश में सभी गतिविधियां ठप रहीं। इस दौरान वाहनों का संचालन भी बंद रहा। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर निजी ऑपरेटर्स और परिवहन निगम को टैक्स से छूट दी थी। इस आदेशों का लाभ भी निजी वाहन संचालकों को मिला, मगर परिवहन विभाग ने सरकार के शासनादेश को भी दरकिनार करते हुए परिवहन निगम से करोड़ों का टैक्स वसूल लिया। इसके चलते परिवहन विभाग का राजस्व वसूली लक्ष्य तो पूरा हो गया, लेकिन पहले से ही खस्ताहाल परिवहन निगम की हालत टैक्स वसूले जाने से और बदतर हो गयी। गौरतलब है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान लॉकडाउन लगने से निजी ऑपरेटर्स और परिवहन निगम सहित बहुत से छोटे प्राइवेट वाहन चालकों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गयी। वाहनों का संचालन न होने से सरकार ने प्राइवेट ऑपरेटर्स और रोडवेज समेत प्राइवेट टैक्सी व अन्य वाहनों को दो माह तक के टैक्स की छूट दी थी। इस व्यवस्था से काफी हद तक वाहन स्वामियों को राहत मिल गई थी।

2 माह में वसूले 77 करोड़
प्रदेश सरकार ने भले ही 2 माह का टैक्स माफ कर दिया था, बावजूद इसके परिवहन निगम को इसका लाभ नहीं मिल सका। उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम से परिवहन विभाग ने टैक्स में छूट देने के बजाय उससे करोड़ों की टैक्स वसूली कर डाली। परिवहन निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो मार्च माह में परिवहन विभाग ने 55 करोड़ रुपए का टैक्स परिवहन निगम से वसूला, तो वहीं अप्रैल माह में भी 22 करोड रुपए के टैक्स का भुगतान निगम को करना पड़ा।

एक ही हैं विभाग और निगम के मुखिया
बताते चलें कि वर्तमान में परिवहन निगम और परिवहन विभाग के मुखिया एक ही हैं, बावजूद इसके परिवहन विभाग का लक्ष्य पूरा करने के लिए टैक्स माफी के बाद भी परिवहन निगम से टैक्स वसूली की गयी। लॉकडाउन के चलते रोडवेज के बस का पहिया न हिलने से परिवहन निगम की इनकम खासी प्रभावित है और इस ओर कोई ध्यान भी नहीं दिया जाता। वहीं परिवहन निगम के कर्मचारी भी मानते हैं कि परिवहन विभाग के मुखिया को परिवहन निगम की अतिरिक्त जिम्मेदारी के नाते इसके साथ दोहरा व्यवहार हो रहा है।

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लाॅकडाउन में प्रवासी श्रमिक थे इनकम का जरिया
साल 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में लगे लाॅकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों का पलायन प्रदेश में हुआ। श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए परिवहन निगम की बसों का संचालन लाॅकडाउन के समय लगातार किया गया। लाॅकडाउन के चलते प्रवासी श्रमिक ही रोडवेज की इनकम का एकमात्र जरिया थे। प्रदेश सरकार ने मुफ्त यात्रा की सुविधा भी प्रवासी श्रमिकों को दी थी। इस दौरान करीब 10 हजार बसों से 32 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया।