जनरल उपेंद्र द्विवेदी बने नए सेना प्रमुख, संभाला कार्यभार

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General Upendra Dwivedi New Army Chief, नई दिल्ली: जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को नए सेना प्रमुख का पदभार संभाल लिया। वे भारतीय सेना के 30वें सेना प्रमुख बन गए हैं। उन्हें देश-विदेश में महत्वपूर्ण पोस्टिंग के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान से लगी भारतीय सीमाओं की गहरी जानकारी और अनुभव है। जनरल द्विवेदी तकनीक के इस्तेमाल में भी अग्रणी रहे हैं। उन्होंने सेना की उत्तरी कमान में तकनीक को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की दिशा करते हैं काम

नए सेना प्रमुख आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम जैसी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की दिशा में भी काम करते रहे हैं। इसके अलावा उन्हें यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, यूएसए में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष पाठ्यक्रम में ‘विशिष्ट फेलो’ से सम्मानित किया गया है। जनरल द्विवेदी ने रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एमफिल और सामरिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान में दो स्नातकोत्तर उपाधियां प्राप्त की हैं।

उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और तीन जीओसी-इन-सी प्रशंसा पत्र से भी सम्मानित किया जा चुका है। जनरल द्विवेदी की सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति को सरकार ने 11 जून को मंजूरी दी थी। उन्होंने आज यहां जनरल मनोज पांडे से कार्यभार संभाला, जो आज सेवानिवृत्त हुए। 01 जुलाई 1964 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री (जम्मू और कश्मीर राइफल्स) में कमीशन दिया गया था।

40 वर्षों का अनुभव

लगभग 40 वर्षों की अपनी लंबी और विशिष्ट सेवा के दौरान, उन्होंने विभिन्न कमांड, स्टाफ, प्रशिक्षण और विदेशी नियुक्तियों को संभाला है। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में एक रेजिमेंट (18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स), ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), महानिरीक्षक, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल है।

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने उप सेना प्रमुख के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले 2022-24 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (मुख्यालय उत्तरी कमान) सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू से भी पढ़ाई की है।

जनरल मनोज पांडे आज हुए सेवानिवृत्त

आज सेवानिवृत्त हो रहे जनरल मनोज पांडे को 30 अप्रैल 2022 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ नियुक्त किया गया था। उन्हें दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन दिया गया था। सीओएएस का पद संभालने से पहले उन्हें वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ नियुक्त किया गया था। जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल 31 मई 2024 को समाप्त हो रहा था। हालांकि, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 26 मई 2024 को एक और महीने के विस्तार को मंजूरी दी थी। नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में सरकार द्वारा वरिष्ठता के सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन किया गया है।

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5वीं कक्षा में एक साथ पढ़ते थे दोनों अधिकारी

गौरतलब है कि तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्ष 62 वर्ष की आयु तक या तीन साल के कार्यकाल (जो भी पहले हो) तक पद पर बने रह सकते हैं। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 वर्ष निर्धारित है। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी तकनीक के इस्तेमाल में अग्रणी रहे हैं।

उन्होंने सेना की उत्तरी कमान में तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके साथ ही नए सेना प्रमुख आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम जैसी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की दिशा में भी काम करते रहे हैं। वह सोमालिया में रहते थे और सेशेल्स सरकार के सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करते थे।

इसके साथ ही भारतीय सेना में पहली बार एक साथ पढ़ाई करने वाले दो अधिकारी सेना की दो अलग-अलग शाखाओं का नेतृत्व कर रहे हैं। दरअसल, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी सहपाठी रहे हैं। दोनों 1970 के दशक की शुरुआत में 5वीं कक्षा में एक साथ पढ़ते थे। तब जनरल द्विवेदी का रोल नंबर 931 और नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी का रोल नंबर 938 था।

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