नई दिल्लीः माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधिवत आराधना की जाती है। इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी, गुरूवार को मनायी जाएगी। बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन से यदि पठन-पाठन की शुरूआत की जाए तो सफलता के मार्ग के कभी भी कोई बाधा नहीं आती है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन से ही माता-पिता अपने बच्चों को लिखने-पढ़ने की शुरूआत कराते हैं। साथ ही इस दिन नये कार्यो की शुरूआत भी की जाती है। इस दिन यज्ञोवती संस्कार करने का भी विधान है।
बसंत पंचमी के दिन बन रहे दुर्लभ संयोग
बसंत पंचमी के दिन इस बार चार दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन शिव, सिद्ध, सर्वार्थ और रवि योग एक साथ लग रहे हैं। यह चारों योग काफी शुभ माने जाते हैं। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। इस दिन मांगलिक कार्य करने भी काफी शुभ फलदायी होते हैं।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक 25 जनवरी को दोपहर 12.34 बजे से बसंत पंचमी शुरू हो जाएगी और 26 जनवरी को प्रातःकाल 10.28 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि में इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती पूजा का मुहूर्त 26 जनवरी को प्रातःकाल 7.12 बजे से लेकर दोपहर 12.34 बजे तक है।
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बसंत पंचमी की पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन प्रातःकाल के समय सर्वप्रथम घर की सफाई करें। इसके बाद नित्य कार्यो से निवृत्त होने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। बसंत पंचमी के दिन पीला वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। पीला रंग सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है और इस रंग के वस्त्र धारण करने से शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछायें और उस पर मां सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। फिर गंगा से प्रतिमा या मूर्ति को स्नान कर पीला वस्त्र अर्पित करें। फिर धूप, दीप, हल्दी, अक्षत, रोली, सफेद रंग के फूल, पीली मिठाई, रोली और मौसमी फल अर्पण करें। पूजा की जगह पर अपनी किताबें भी रखें और उस पर भी फूल चढ़ायें। इसके बाद मां सरस्वती की विधिवत पूजा कर आरती जरूर करें। इसके बाद अपने सभी स्वजनों को प्रसाद अवश्य ही वितरित करें।
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