Monday, November 25, 2024
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‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ रद्द होने पर कांग्रेस ने जाहिर की खुशी, बताया- उगाही का जरिया…

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ (Electoral Bond) को असंवैधानिक करार दिए जाने पर कांग्रेस ने खुशी जताते हुए कहा कि इसके जरिए भारतीय जनता पार्टी जबरन वसूली करती थी। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि बीजेपी को ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ से 5200 करोड़ रुपये मिले हैं। देश को बताना चाहिए कि ये पैसा किसने दिया। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की मांग है कि एसबीआई को सारी जानकारी पब्लिक डोमेन में डालनी चाहिए, ताकि जनता को पता चल सके कि किसने कितना पैसा दिया।

कांग्रेस ने किया फैसले का स्वागत

खेड़ा ने कहा कि ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ योजना को मोदी सरकार ‘मनी बिल’ के तौर पर लेकर आई थी, ताकि राज्यसभा में इस पर चर्चा न हो सके, इसे सीधे पास कराया जा सके। ऐसे में हमें डर है कि दोबारा कोई अध्यादेश जारी हो सकता है और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मोदी सरकार बच सकती है।

‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ योजना भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सीधे तौर पर प्रधानमंत्री शामिल हैं। चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और कानून मंत्रालय के अधिकारियों के विरोध के बावजूद देश पर ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ थोप दिया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मोदी सरकार की ‘इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम’ को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत करती है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ योजना संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान का भी उल्लंघन कर रही है। 2017 में ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ आने के बाद से ही कांग्रेस इसका कड़ा विरोध कर रही है। यह प्रक्रिया अपारदर्शी है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ को असंवैधानिक करार दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक सभी दलों को मिले चंदे की जानकारी छह मार्च तक चुनाव आयोग को दे। चुनाव आयोग इस जानकारी को 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। जिन बांडों को अभी तक भुनाया नहीं गया है, उन्हें राजनीतिक दलों को बैंक को लौटा देना चाहिए।

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