Wednesday, October 23, 2024
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कूनो में दो माह में छह चीतों की मौत के बाद चीता परियोजना संचालन समिति गठित

cheetah

भोपाल: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पिछले दो महीने में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए छह चीतों की मौत हो चुकी है। इनमें तीन युवा चीते और तीन शावक शामिल हैं। इसके बाद भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘चीता परियोजना संचालन समिति’ का गठन किया है। अब चीतों से जुड़ा कोई भी फैसला इस कमेटी के सदस्यों की सहमति से ही लिया जाएगा।

कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला के दो शावकों की गुरुवार को मौत हो गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने बताया कि मादा चीता ज्वाला ने दो माह पूर्व 27 मार्च को कूनो नेशनल पार्क में चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें से एक शावक की मंगलवार (23 मई) को मौत हो गई थी। इसके बाद शेष 03 शावकों एवं मादा चीता “ज्वाला” की पालपुर में तैनात वन्य जीव चिकित्सक एवं निगरानी दल द्वारा दिन भर लगातार निगरानी की गई। चीता ज्वाला को दिन में पूरक आहार दिया गया। दोपहर निरीक्षण के दौरान शेष 03 शावकों की स्थिति सामान्य नहीं पाई गई।

उन्होंने बताया कि तीनों शावकों की असामान्य स्थिति व गर्मी को देखते हुए प्रबंधन व वन्य जीव चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर उपचार किया, लेकिन दो शावकों की हालत बिगड़ने से नहीं बचाई जा सकी। एक शावक का इलाज गंभीर हालत में पालपुर अस्पताल में गहन देखभाल और निगरानी में चल रहा है। मादा चीता ज्वाला स्वस्थ है, जिस पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि मादा चीता ”ज्वाला” हाथ से पाला हुआ चीता है जो पहली बार मां बनी है। चीता के शावक करीब 8 हफ्ते के हो चुके हैं। इस अवस्था में चीता शावक आमतौर पर जिज्ञासु होते हैं और मां के साथ लगातार चलते हैं। चीते के शावक करीब 8-10 दिन पहले अपनी मां के साथ चलना शुरू करते हैं। चीता के जानकारों के मुताबिक अफ्रीका में चीता के शावकों के बचने की दर आम तौर पर बहुत कम होती है। पोस्टमार्टम की कार्यवाही मानक प्रोटोकॉल के अनुसार की जा रही है।

ये भी पढ़ें..MP: कूनो नेशनल पार्क में ‘ज्वाला’ के दो और शावकों ने तोड़ा दम, अब तक इतने चीतों की गई जान

कूनो नेशनल पार्क में दो महीने में छह तेंदुओं की मौत हो चुकी है। इनमें से पहली 26 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत थी। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की 23 अप्रैल को मौत हो गई। फिर नौ मई को दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्ष की मौत हो गई थी। अब एक सप्ताह के भीतर मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों की भी मौत हो गई। बताया गया है कि अब चीता परियोजना संचालन समिति का गठन कर दिया गया है। समिति में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के पूर्व सदस्य सचिव, कान्हा टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक व ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव डॉ. राजेश गोपाल, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक, पीआर सिन्हा, पूर्व अतिरिक्त प्रमुख शामिल हैं। जिसमें देश के 11 वन्य जीव विशेषज्ञों को सदस्य बनाया गया है।

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