नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में अग्निपथ योजना के विरोध में दूसरी याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में कहा गया कि यह योजना संसद की मंजूरी के बिना लाई गई है इसलिए यह योजना असंवैधानिक और गैरकानूनी है। याचिका में अग्निपथ योजना की अधिसूचना रद्द करने की मांग की गई है। इससे पहले दाखिल याचिका में योजना के विरोध में हुई हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की जांच के लिए एसआईटी गठन की मांग की गई है।
वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर याचिका में कहा है कि शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिये चुने जाने पर सेना के एक अफसर को 10 से 14 वर्ष तक सेवा करने का मौका मिलता है। इसके विपरीत अग्निवीर योजना के तहत चार साल के लिए भर्ती होने वाले अग्निवीरों में से केवल 25 फीसदी जवानों को ही सेना में स्थायी किया जाएगा जबकि 75 फीसदी जवानों को चार साल बाद हटा दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि इस योजना की घोषणा के बाद से सेना में शामिल होने का सपना संजोने वाले नौजवानों को निराशा हुई और उन लोगों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया।
इससे पहले भी अग्निपथ योजना को लेकर एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। वकील विशाल तिवारी ने दायर याचिका में योजना के विरोध में हुई हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की जांच के लिए एसआईटी गठन की मांग की गई है। इस याचिका में कहा गया है कि अग्निपथ योजना से सेना में शामिल होने वाले नौजवानों को अपने भविष्य को लेकर संशय बना रहेगा। याचिका में इस योजना के राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय सेना पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ कमेटी बनाने की मांग भी की गई है।
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