Rakshabandhan special, जयपुरः रक्षाबंधन के लिए इन दिनों महिला समूह इको फ्रेंडली राखियां बनाने में जुटे हैं। ये इको फ्रेंडली राखियां महत्वपूर्ण औषधियों से तैयार की जा रही हैं। इतना ही नहीं जयपुर के साथ-साथ विदेशों में भी इन इको फ्रेंडली राखियों की मांग है। इसे पूरा करने के लिए महीनों पहले से ऑर्डर मिलने शुरू हो गए थे और महिलाओं ने समूहों में रहकर विदेशों से आने वाली राखियों की इस मांग को पूरा किया है।
भारतीय जैविक उत्पादक किसान संघ के अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि वे जैविक खेती के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि भारतीय नागरिक जैविक उत्पादों से जुड़े। ताकि भारतीय नागरिकों को रसायनों से बने हर उत्पाद से मुक्ति मिले और उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे। इसी को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सांगानेर स्थित पिंजरापोल गौशाला के अंदर गाय के गोबर से इको फ्रेंडली राखियां बनाई जा रही हैं।
प्राकृतिक औषधियों से बनाई जा रही हैं इको-फ्रेंडली राखियां
आम लोगों को ध्यान में रखते हुए इस बार अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के तत्वावधान में समूह बनाकर महिलाएं अश्वगंधा, शतावर, सहजन, चिरायता और तुलसी के बहुउद्देशीय बीजों का उपयोग कर इको-फ्रेंडली राखियां बना रही हैं।
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इन जगहों से आ रही इको-फ्रेंडली राखियों की मांग
रक्षाबंधन के अवसर पर जयपुर के अलावा अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इंडोनेशिया, मॉरीशस, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे कई स्थानों से इको-फ्रेंडली राखियों की भारी मांग आ रही है।
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