गोरखपुर : पांच साल पहले तक उपेक्षित रही गोरखपुर (Gorakhpur) की माटी की विशिष्ट शिल्पकला ’टेराकोटा’ को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ओडीओपी (ODOP) के पंख मिले तो रोजगार और विकास के आसमान में इसकी उड़ान देखते ही बन रही है। सरकार की तरफ से ब्रांडिंग का दायरा ग्लोबल हुआ तो इस पारंपरिक शिल्प में नवाचार की झड़ी लग गई है। टेराकोटा के परंपरागत उत्पाद बाजारों में धूम मचा रहे हैं तो अब मिट्टी की ज्वेलरी के बाद भाइयों की कलाइयों पर सजने को टेराकोटा की राखियां (Terracotta Rakhi) भी तैयार हो गई हैं। इनकी डिजाइन, रंगत और फिनिशिंग ऐसी की देखकर सहसा यकीन ही नहीं होगा कि ये मिट्टी से बनाई गई हैं।
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मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा टेराकोटा को गोरखपुर (Gorakhpur) की ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किए जाने के बाद शिल्पकारों का जीवन तो बदल ही गया है, शिल्पियों के साथ ही अनेक लोग इसमें नवाचार के विचार से जुड़ रहे हैं। नवाचार की ऐसी ही पहल की है मूलतः दिल्ली की रहने वाली डॉ. भावना सिंघल ने। उन्होंने टेराकोटा से जुड़ी महिलाओं को अपनी तरफ से डिजाइन देकर बड़े पैमाने पर टेराकोटा की राखियां बनवाईं हैं।
डॉ. भावना 15 जुलाई को गोरखपुर (Gorakhpur) में टेराकोटा की राखियों (Terracotta Rakhi) की प्रदर्शनी भी लगवाने जा रही हैं। प्रदर्शनी में मिट्टी से बनी रंग-बिरंगी राखियों की खरीदारी भी की जा सकेगी। भावना का कहना है कि घर में रखे टेराकोटा की मूर्तियों की खूबसूरती की लोगों से मिली तारीफ से उनके मन में इस शिल्प की राखियों को बनवाने का विचार आया। टेराकोटा के मिट्टी के आकर्षक गहने भी अपनी धाक जमा रहे हैं। इस शिल्प से बने नेकलेस, झुमका, बाली, कंगन की मांग बढ़ रही है। सोने के गहनों को टक्कर दे रहे इन आभूषणों की सुंदरता महिलाओं का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।
योगी के विजन से बदल गया शिल्पकारों का जीवन –
मुख्यमंत्री योगी के विजन से टेराकोटा शिल्पकारों का जीवन बदल गया है। ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद उनके उत्पादों की इतनी मांग है कि नए ऑर्डर कई महीनों की वेटिंग में जा रहे हैं। ओडीओपी ने इसे उद्यमिता और रोजगार का बड़ा फलक प्रदान किया है। योगी सरकार के प्रयासों से यह अब ग्लोबल ब्रांड के रूप में स्थापित हो रहा है। इसी कड़ी में सरकार कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के जरिये टेराकोटा की ब्रांडिंग को और मजबूत करने जा रही है। गोरखपुर (Gorakhpur) में दो सीएफसी बनाए जा रहे हैं। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि सीएफसी बनने से टेराकोटा शिल्पियों को एक ही छत के नीचे गुणवत्ता जांच, ट्रेनिंग समेत सभी सुविधाएं मिलने लगेंगी। इससे टेराकोटा के बाजार का और भी विस्तार होगा। सरकार के ही प्रयासों से टेराकोटा उत्पाद कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।
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