Saturday, October 26, 2024
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धर्मांतरण: अपमानजनक खबरें प्रसारित करने के मामले में पुलिस और मीडिया संगठनों को नोटिस

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने वाली महिला की अपने खिलाफ कुछ मीडिया संगठनों की ओर से अपमानजनक खबरें प्रसारित करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस, कुछ मीडिया संगठनों और न्यूज ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) को नोटिस जारी किया है। जस्टिस रेखा पल्ली की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया है।

कोर्ट ने इस मामले में उप्र सरकार को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उप्र उसके क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील तान्या अग्रवाल ने कहा कि उसे दिल्ली से लेकर जाया जा सकता है, इसलिए यूपी सरकार को नोटिस जारी किया जाए, ताकि वो इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट करे। उन्होंने कहा कि महिला ने जब इस्लाम धर्म कबूला, उसके बाद पिछले 6 और 8 अप्रैल को इस संबंध में विज्ञापन देने के बाद न्यूज चैनलों ने खबरें प्रसारित करना शुरू किया। खबरें चलने के बाद उसे धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। ऐसा करना गरिमापूर्ण जीवन जीने के उसके अधिकार और निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

पिछले 5 जुलाई को कोर्ट ने महिला और उसके परिवार की सुरक्षा 22 जुलाई तक बढ़ाने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील समीर वशिष्ठ ने कहा था कि पुलिस ने याचिकाकर्ता को उसके दिए पते पर ढूंढने की कोशिश की लेकिन उसे ढूंढा नहीं जा सका। तब महिला की ओर से पेश वकील तान्या अग्रवाल ने कहा था कि महिला अपना पता लगातार बदल रही है, क्योंकि उसकी जान को खतरा है। उन्होंने महिला को अंतरिम सुरक्षा देने की मांग की। इसके पहले पिछली 1 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि महिला और उसके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएं।

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महिला उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है। महिला दिल्ली में ही रहती है। याचिका में कहा गया था कि महिला ने पिछले 27 मई को अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल किया था। जब से उसने इस्लाम धर्म कबूल किया है तब से उप्र पुलिस के अधिकारी उसे और उसके नजदीकी रिश्तेदारों को परेशान कर रहे हैं। याचिका में महिला ने कहा था कि उसकी जान को खतरा है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील कमलेश कुमार मिश्रा ने कहा था कि मीडिया के लोग भी उसे और उसके परिजनों को परेशान कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि महिला बालिग है और उसे अपनी मर्जी का धर्म मानने की संवैधानिक सुरक्षा मिली हुई है।

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