नई दिल्लीः हर वर्ष होली के आठवें दिन यानि चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और बाद में वहीं प्रसाद ग्रहण किया जाता है। माता शीतला को अत्यंत ही शीतल माना जाता है। माता शीतला की पूजा आराधना करने से रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक आज की तिथि से गर्मी का तीक्ष्ण स्वरूप दिखाना शुरू कर देता है और माता शीतला का स्वरूप शीतल है। इसलिए आज के दिन विधि-विधान से शीतला माता की पूजा करने से शीतलता प्राप्त होती है। माता शीतला की सवारी गधा है और उनके एक हाथ में कलश और एक हाथ में झाडू दिखायी देता है। जिसका साफ संदेश यही है माता शीतला सभी विकारों को दूर कर अपने भक्तों को शीतलता प्रदान करती हैं। शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। फिर स्नानादि से निवृत्त हो व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर थाली में दही, पुआ, रबड़ी, मीठे चावल, नमक पारे और मठरी सजाकर माता को भोग लगायें।
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माता शीतला को रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, सिक्के और मेहंदी चढ़ायें। माता शीतला को एक लोटा जल चढ़ायें। फिर माता को रोली और हल्दी से तिलक लगायें। इसके बाद माता शीतला की पूजा आराधना करें। पूजा करने के बाद बचा हुआ जल सभी सदस्यों को दें और बाकी जल को पूरे घर में छिड़क दें। इसके बाद माता शीतला को चढ़ाया गया भोग घर के सभी सदस्यों को खाने के लिए दें।