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भारतीय नववर्ष सम्वत् 2081 का वर्षफल

Year results of Indian New Year Samvat 2081

भारतीय नववर्ष सम्वत् 2081 चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि तदनुसार 09 अप्रैल सन् 2024 दिन मंगलवार से प्रारंभ हो जाता है। इस सम्वत्सर के राजा ‘मंगल’ होंगे। इस वर्ष नव सम्वत्सर का आरंभ मंगलवार को होने के कारण मंगल राजा के पद को धारण करेंगे। इस नवसम्वत्सर का नाम ‘पिंगल’ होगा। मंगल का शासन पूरे विश्व पर सम्वत्सर अर्थात वर्ष भर रहेगा। पिंगल नामक सम्वत्सर में शास्त्रानुसार विश्व में परस्पर शासकों में टकराव, कहीं पर शासन सत्ता का परिवर्तन और कहीं-कहीं प्राकृतिक उत्पाद से जन-धन हानि होती है। विश्व में आर्थिक मंदी के योग बनते हैं। विश्व में पशु-पक्षियों में होने वाले संक्रामक रोग की वृद्धि होती है। कुछ देशों के मध्य युद्ध जैसे टकराव सम्भव होते हैं।

इस्लामिक देशों में हिंसा, उत्पाद एवं शासकों के टकराव से धन-जन की क्षति सम्भव होती है। विश्व में वायुयान की दुर्घटना, भूकम्प, भीषण अग्निकाण्ड एवं प्राकृतिक उत्पात से जन-धन की क्षति होती है। भारतवर्ष में दुधारू पशुओं में रोगवृद्धि एवं हानि होती है। रेल, वायुयानादि, वाहन दुर्घटना की बहुलता, वाहनों का नाश, भीषण अग्निकाण्ड से जन-धन की हानि सम्भव होती है। कहीं-कहीं अल्प वर्षा एवं कहीं-कहीं वर्षा की अधिकता से फसलों की हानि सम्भव होती है। भारतवर्ष के कुछ राज्यों में शासन सत्ताधारियों में अचानक संकट उपस्थित होने से आपसी आपसी टकराव के योग बनते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहता है। कर की वृद्धि होती है। भारतवर्ष में बाजारों में खरीदारी की चहल-पहल बनी रहती है। 

इस नव सम्वत्सर में मेष संक्रान्ति शनिवार को पड़ रही है। अतः शनि इस सम्वत्सर में मंत्री पद पर सुशोभित होंगे। राजा मंगल के मंत्रीमंडल में कुल 10 विभाग होंगे। यथा राजा, मंत्री, सस्येश, दुर्गेश, धनेश, रसेश, धान्येश, नीरसेश, फलेश व मेघेश इन्हीं दस विभागों द्वारा इस भारतवर्ष एवं विश्व में होने वाली घटनाओं का सूत्रपात होता है। सम्वत्सर राजा ‘मंगल’ होने से इस वर्ष मनुष्यों को अग्निभय, वाहनादि में स्वतः अग्नि लग जाने से हानि व भीषण अग्निकाण्ड से जन-धन की हानि सम्भव होती है। चोरों व ठगों का आतंक बढ़ता है। साइबर क्राइम में वृद्धि होती है। शासकों के मध्य टकराव, मतभेद एवं आरोप-प्रत्यारोप से टकराव या विग्रह होता है। विश्व में पशु-पक्षियों से उत्पन्न संक्रामक रोग की वृद्धि होती है। देश के अनेक भागों में धार्मिक व साम्प्रदायिक उपद्रवों से आतंक वृद्धि होती है।

भारत देश के पूर्वी प्रान्तों में भूकम्प अथवा समुद्री तूफानादि से एवं दक्षिणा भारत में अग्निकाण्ड, बम विस्फोट आदि से जन-धन की क्षति सम्भव होती है। विश्व के पश्चिम भाग के देशों में रोग, महामारी, प्राकृतिक उपद्रव, भूकम्प, समुद्री तूफान, अग्निकाण्ड से जनता भयभीत रहती है। भारतवर्ष में केन्द्र में शासक नीति की सफलता का देश का विश्व में सम्मान बढ़ता है। भारतवर्ष में केन्द्र में शासक दल के स्थिर रहने के योग बनते हैं। केन्द्र में शासक दल के पुनः सत्तारूढ़ होने का योग बनता है। भारतवर्ष में केन्द्र में शासन कर रहीं भारतीय जनता पार्टी के पुनः शासन में बने रहने के योग बनते हैं। भारतवर्ष की सैन्य बल की वृद्धि होती है। सेना में नये आधुनिक शस्त्रास्त्रों का का निर्माण भारत द्वारा होता है। भारतीय सेना के पराक्रम एवं शौर्य की वृद्धि होती। सीमा पर भारतीय सेना की सैन्य कुशलता से आतंकी हमलों को निष्फल किया जाता है। भारतीय सेना का वर्चस्व बढ़ता है। यह वर्ष भूमि, रियल स्टेट के कार्य, यांत्रिक उद्योग, विद्युत से सम्बन्धित कार्य करने वाले, प्रशासनिक काम करने वाले, चिकित्सक, सैनिक, पुलिस, गृह उद्योग करने वाले, अग्नि से सम्बन्धित कार्य करने वाले एवं धातु से सम्बन्धित कार्य करने वाले व्यापारियों के लिए शुभफलदायक होता है। भारत आयात के क्षेत्र में विशेष रूप से अग्रसर रहेगा तथा विश्व में भारतवर्ष को विशेष सम्मान व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। भारतवर्ष द्वारा विश्व के कुछ आपदा पीड़ित राष्ट्र को सहयोग सहायता प्रदान की जाती है। भारत वर्ष में समुद्र तट के क्षेत्रों में तूफान व चक्रवात का उत्पात होगा।

देश की कई प्रान्तीय सत्तारूढ़ पार्टी में विघटन होता है। भारत के पूर्वी प्रान्त व दक्षिण के प्रान्तों की चिन्ता बढ़ती है। राजनैतिक दलों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े‌गा। बम विस्फोट, यान दुर्घटना, अग्निकाण्ड एवं प्राकृतिक प्रकोप बाढ़, बिजली गिरने से एवं बादल फटने से जनधन की हानि होती है। विश्व में यूरोप के कुछ देशों में आर्थिक मंदी, अशांति व युद्धादि का लम्बे समय तक सामना करना पड़ेगा। यूरोप के प्रमुख देशों में अर्थव्यवस्था की चर्चा विशेष बनेगी। भारत में नवीन प्रगतिप्रद योजनाओं का निर्माण होगा। भारत की शिक्षा पद्धति में परिवर्तन या नई शिक्षा निति द्वारा नई दिशा मिलती है। ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ने के योग बनेंगे। लू व गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा रहेगा। आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व पंजाब के राज्यों में ज्यादा गर्मी बढ़ेगी। अगस्त, सितम्बर व अक्टूबर में कहीं-कहीं भीषण वर्षा होती है और कहीं-कहीं अल्प वर्षा की स्थिति बनेगी। महाराष्ट्र, ओडिशा के पूर्वी क्षेत्र, बंगाल, असम व बिहार में भीषण वर्षा के योग बनेंगे। बाढ़ का प्रकोप बनेगा तथा फसलों की हाति होती है। आकाशीय बिजली से जन-धन की हानि होती है। हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश में अल्प वर्षा या सूखा पड़‌ता है। दक्षिण प्रान्तों में एवं उत्तर प्रान्त में भीषण वर्षा होती है। चीन, जापान, रूस, तिब्बत, बर्मा आदि राष्ट्रों में भूकम्प आदि प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन की हानि होती है। भारतवर्ष में पर्वतीय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा सम्भव होती है एवं जन-धन की हानि होती है। दिल्ली, राजस्थान, गुजरात व उत्तर प्रदेश में वर्षा सामान्य होती है। असम, बंगाल, बिहार व कर्नाटक में अतिवर्षा से बाढ़ प्रकोप उत्पन्न होता है एवं जन-धन की हानि होती है।

कश्मीर में या हिमाचल प्रदेश में बादल फटने या भूस्खलन से जन-धन की क्षति सम्भव होती है। विश्व में इस्लामिक देश अरब, ईरान व ईराक तथा पाकिस्तान व अफ‌गानिस्तान में शासकों को आपसी मतान्तर बनकर विग्रह, तनाव, आतंकवादी उपद्रव व विस्फोट आदि से जन-धन की क्षति होती है। भारत में बिहार में भयंकर बाढ़ से जन-धन की क्षति सम्भव होती है एवं पर्वतीय प्रान्तों में प्राकृतिक प्रकोप से हानि होती है। भारत के कुछ प्रान्तों में सूखा व अकाल से जन-धन को पीड़ा होती है। किसानों के लिए कठिन परिस्थितियां पैदा होती हैं। बंगाल, बिहार, मणिपुर, असम व अरुणाचल में भारी तूफान व आकाशीय बिजली से क्षति होती है। भारत में प्रसिद्ध राजनैतिक, उद्योगपति या सिनेमा कलाकार का शोक सम्भव होता है। भारत में औद्योगिक प्रगति विशेष होती है। विशेष रोगव्याधि का प्रकोप भी बढ़‌ता है। बालमृत्यु दर बढ़ती है। मध्यभारत में वायुवेग व कण तूफान का प्रकोप रहेगा।

 भारत देश की शिक्षा व व्यावसायिक स्थितियों में नवीन परिवर्तन से दृढ़ता बढ़े‌गी। आयात-निर्यात के नए कानूनों में जनता को श्रेष्ठ लाभ होगा। सरकारी कर्मचारियों के लिए धन वृ‌द्धि के अवसर बनेंगे । विश्व के दक्षिण पश्चिम देशों में किसी नए प्रकार का संक्रामक रोग फैलता है। जून के महीने में भीषण गर्मी पड़‌ती है। आषाढ़ माह (23 जून से 21 जुलाई) में भीषण गर्मी, वायुवेग का तूफान, आकाशीय बिजली एवं प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि होती है। 20 अगस्त से 18 सितम्बर के मध्य भयंकर वर्षा से रोग व्याधि महामारी का प्रकोप बढ़‌ता है। विशेष प्रकार का ज्वर फैलने के योग होंगे, जिससे जनता पीड़ित रहती है। बाढ़ का प्रकोप बढ़ता है तथा जन-धन की हानि होती है। 16 नवम्बर से 15 दिसम्बर व 14 जनवरी 2025 से 12 फरवरी 2025 के मध्य का समय प्राकृतिक आपदा के प्रकोप का होता है। इस काल भूकम्प, भूस्खलन, बम विस्फोट या यान दुर्घटनादि से जनधन की हानि सम्भव होती है। इस वर्ष विश्व में कुल चार ग्रहण लगेंगे। 02 सूर्य ग्रहण व 02 चन्द्र ग्रहण लगेंगे। यद्यपि भारत में कोई ग्रहण दृश्य नहीं होता है।

अत: भारत को ग्रहण जन्य दोष फल नहीं प्राप्त होता है। दुर्गेश शनि के होने से सभी प्रकार से खेतों में फसलों की हानि, किसान के लिए संघर्ष, लोगों में व्यग्रता व वैरभाव उत्पन्न होता है। धनेश मंगल होने से काले रंग के पदार्थ की हानि होती है। सभी देशों के लोग अशान्त होते हैं तथा शासक वर्ग जनता को कष्ट प्रदान करते हैं। रसेश गुरु होने से जनता को सुख प्राप्त होता है, तालाबों में कमल के पुष्पों की वृद्धि होती है तथा घास की वृद्धि होती है। जनपदों में लोगों द्वारा विद्वानों का सत्कार किया जाता है। शासक वर्ग धनबल व दण्डबल से सुखी सम्पन्न रहते हैं। धान्येश चन्द्र के होने से पृथ्वी जल से पूर्ण रहती है। नदियों का जलस्तर बढ़ता है। बाढ का प्रकोप बढ़ता है। बहुत से फसलों की वृद्धि होती है। विश्व में विविध उत्सव होते हैं। नीरसेश मंगल के होने से प्रतिदिन मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन तथा तांबा धातु का भाव महंगा होता है।

फलेश शुक्र के होने से वृक्षों में फल-फूल की वृद्धि, शासक वर्ग भ्रमण करने में रुचि रखने वाले, जनता को सुख प्रदान करने में तत्पर तथा विद्वान लोग पठन-पाठन में रुचि रखने वाले एवं धार्मिक कार्यों का प्रचार-प्रसार होता है। मेघेश शनि के होने से पृथ्वी में थोड़ी वर्षा, वायु प्रकोप, तूफान से हानि, शासक वर्ग के मन में संताप तथा जनता विविध रोगों से पीड़ित रहती है। इस वर्ष सम्वत्सर का निवास कुम्भकार (कुम्हार) के घर में होने से यह वर्ष मध्यम फलकारक होता है। बाजार प्रायः स्थिर रहता है। लोगों में खरीदारी की प्रवृत्ति बढ़ती है। इस वर्ष समय का वाहन नौका है, इसके फलस्वरूप जनता भ्रमित, चौपायों को पीड़ा प्राप्त होती है। वाहनों की हानि होती है। पृथ्वी पर फलों का नाश होता है। इस वर्ष भारत विश्वपटल पर विशेष स्थान प्राप्त करता है। भारतवर्ष के शासक की कुशल नीतियों द्वारा विश्व मे विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। भारत आर्थिक नीति के द्वारा विश्व में शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरता है।

लोकेंद्र चतुर्वेदी

 

 

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