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जानकी अष्टमी पर माता सीता-प्रभु श्रीराम की पूजा से होती है मनोवांछित वर की प्राप्ति

नई दिल्लीः हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जानकी जयंती के दिन ही मिथिला में राजा जनक और रानी सुनयना को माता सीता पुत्री के रूप में मिली थी। तब से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती या जानकी अष्टमी पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि आज के दिन माता सीता की पूरी श्रद्धा के साथ व्रत और पूजन से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।

आज के दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत और पूजन करती हैं और माता जानकी को श्रृंगार का सारा सामान चढ़ाती हैं। वहीं संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों को भी आज के दिन माता सीता की आराधना करनी चाहिए। इससे माता सीता की कृपा उन पर होती है और उन्हें संतान की प्राप्ति भी अवश्य ही होती है। जानकी जयंती के दिन पूरे शुद्ध मन से व्रत और पूजन से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही कुंवारी लड़कियां भी माता सीता का व्रत एवं विधि-विधान से आराधना कर मनचाहे वर का आशीर्वाद लेती हैं।

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जानकी जयंती के दिन माता सीता और प्रभु श्रीराम की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती हैं। जानकी अष्टमी के दिन व्रत करने वाले को प्रातःकाल नृत्यकर्मो से निवृत्त होने के बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके पश्चात मंदिर अथवा घर पर ही माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा-आराधना करनी चाहिए। साथ ही माता जानकी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए। पूजा के बाद दान, कन्याभोज या ब्राह्मण भोज भी अवश्य करना चाहिए।