नई दिल्लीः हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर माह दो एकादशी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़ती है। एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस बार शुक्रवार को वरूथिनी एकादशी पड़ रही है। वरुथिनी एकादशी व्रत रखने से भक्त को जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। एकादशी का व्रत करने वाले को प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और इस व्रत-कथा जरूर सुनें। इसके बाद आरती कर परिजनों में प्रसाद वितरित करें।
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के महत्व के बारे में पूछा और उनके निवेदन किया कि इस व्रत की कथा बतायें। तब भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में मान्धाता नाम के एक राजा थे, जो नर्मदा नदी के तट पर राज्य करते थे। राजा मान्धाता बड़े दानवीर और तपस्वी थे। एक दिन राजा मान्धाता तपस्या करने के लिए वन चले गये और जंगल में एक स्थान पर तपस्या कर रहे थे कि तभी वहां एक भालू आ गया। वह तपस्या में लीन राजा के पैर चबाने लगा, लेकिन राजा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। भालू उन्हें घसीटता हुआ जंगल के अंदर लेकर चला गया।
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भालू के इस व्यवहार से राजा बेहद भयभीत हो गये और उन्होंने मन ही मन भगवान विष्णु से अपने प्राणों की रक्षा के लिए आग्रह किया। जिस पर भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और भालू को मारकर राजा के प्राणों की रक्षा की। भालू ने राजा का पैर खा लिया था, इससे राजा बेहद दुखी थे। तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुम दुखी मत हो। तुम्हारे पूर्व जन्म के पाप के चलते ही भालू ने तुम्हारा पैर खा लिया। अब तुम मथुरा में वरूथिनी एकादशी का व्रत करो, वहां पर मेरी वराह अवतार मूर्ति की आराधना करो। इससे व्रत के प्रभाव से तुम ठीक हो जाओगे। भगवान के कथनानुसार राजा मान्धाता ने मथुरा में जाकर वरूथिनी एकादशी का व्रत और पूजन किया। तब वरूथिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा फिर से सुंदर शरीर वाला हो गया। मृत्यु के पश्चात उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इस तरह जो भी व्रत वरूथिनी एकादशी का व्रत एवं विष्णु पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करता है। उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।