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विश्व साइकिल दिवसः दिल-दिमाग को स्वस्थ रखने का साइकिलिंग सर्वोत्तम साधन

नई दिल्लीः यूं तो हम सभी बचपन से ही साइकिल चलाने से अनजान नहीं रहते हैं। साइकिल ही वह सहारा रही जिसके माध्यम से हम अपने स्कूल तक जल्दी से पहुंचते थे। लेकिन तब वह साइकिल हमारे लिए समय बचाने का साधन हुआ करती थी। आज के आधुनिक दौर में वही साइकिल लोगों को स्वस्थ रखने के काम आ रही है। सेना व पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर चिकित्सक और युवा साइकिलिंग को अपने स्वस्थ शरीर का राज बताते हैं। आज सभी में मंहगी साइकिल खरीदने का फैशन सा बना हुआ है।

बात जब फिजिकल फिटनेस की आ जाए तो भला कौन पीछे रहना चाहता है। अपने आप को शारीरिक रुप से स्वस्थ रखने के लिए लोग तमाम प्रकार के तरीके अपनाते हैं। इनमें से एक साइकिलिंग भी है। पहले कभी साइकिल चलाना यह दर्शाता था कि आप आर्थिक रुप से समृद्ध नहीं हैं। पर अब यही साइकिलिंग लोगों के शरीर को स्वस्थ रखने का साधन बनती जा रही है। चिकित्सक भी लोगों को स्वस्थ रहने के लिए साइकिलिंग करने की सलाह देते हैं। साइकिलिंग दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने का सर्वोत्तम साधन है।

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लोगों को यह पता भी नहीं होता कि उन्होंने दिमाग की कसरत कैसे कर ली। अधिकांश लोग यही जानते हैं कि साइकिल चलाने से केवल मांसपेशियों की कसरत ही होती है। लेकिन वास्तव में जाने अनजाने में हम अपने दिमाग की भी बेहतर कसरत करते हैं। साइकिल को संतुलित रखने के लिए हमें दिमाग का बेहतर उपयोग करना होता है। हम दिमाग का जितना ज्यादा उपयोग करेंगे हमारा दिमाग उतना ही स्वस्थ रहता है और हमारे दिमाग की यूंही कसरत हो जाती है। सड़क या पक्के फर्श पर चलने से पैरों की हड्डियों को नुकसान होता है। परन्तु साइकिल चलाने से केवल लाभ ही लाभ हैं।