बिजनेस

सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, सहकर्मियों के इस्तीफे से बढ़ रहा कर्मचारियों पर बोझ

बेंगलुरु: देश के 70 फीसदी कर्मचारियों का कहना है कि सहकर्मियों के इस्तीफे के कारण उन पर अब काम को बोझ बहुत बढ़ गया है, जिससे वे दबाव महसूस करते हैं। ताजा सर्वेक्षण से एक चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि करीब 96 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों को हर सप्ताह कम से कम एक वर्कडे के अंत में बहुत ही थकान महसूस होती है।

ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर कंपनी यूआईपाथ की बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, गत साल कई कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया है, जिससे कंपनी में काम करने वाले शेष कर्मचारियों पर काम का दबाव बहुत अधिक बढ़ गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, एक ही तरह का काम करते रहने से कर्मचारियों की अप्रसन्नता और बढ़ रही है और उनमें अनिश्चितता भी बढ़ रही रही है। करीब 91 फीसदी भारतीय कर्मचारियों का मानना है कि उन्हें ऐसे काम करने पड़ रहे हैं, जो ऑटोमेटेड हो सकते हैं। उनके अनुसार, ऑटोमेशन की मदद से उनका संगठन नये ग्राहकों को आकर्षित कर सकता है तथा पुराने ग्राहकों को बनाये रख सकता है। उनके मुताबिक कुछ ऊबाऊ प्रक्रियाओं में अगर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाने लगे तो वे अपना ध्यान कुछ अच्छे काम में लगाना चाहेंगे।

यूआईपाथ के प्रबंध निदेशक एवं उपाध्यक्ष अनिल भसीन ने कहा कि भारत में 79 प्रतिशत कर्मचारियों का कहना है कि सहकर्मी के इस्तीफा देने की वजह से उन्हें अपनी जिम्मेदारी के बाहर के छह नये काम करने पड़ रहे हैं या जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है। इस सर्वेक्षण में शामिल हुये 74 प्रतिशत भारतीय और 68 प्रतिशत वैश्विक प्रतिभागियों का कहना था कि अब उन्हें पता ही नहीं कि उनकी जिम्मेदारियां क्या हैं क्योंकि सहकर्मियों के काम छोड़ने के कारण काम का पूरा माहौल ही बदल गया है।

यह भी पढ़ेंः-प्रोटोकॉल तोड़कर लोगों से मिले सीएम भूपेश बघेल, लापरवाह अधिकारियों पर...

सर्वेक्षण के 73 प्रतिशत भारतीय प्रतिभागियों ने कहा कि वे अगले छह माह के दौरान नयी नौकरी करने के इच्छुक होंगे या उसकी तलाश करेंगे। करीब 40 प्रतिशत ने कहा कि वे नई नौकरी के लिये आवेदन दे रहे हैं या बीते छह माह के दौरान उन्होंने अन्य कंपनी में इंटरव्यू दिया है। स्थानीय कार्यालयों के कर्मचारी काम और जिंदगी के बिगड़ते संतुलन को देखते हुये नये पद की ओर जाना चाहते हैं क्योंकि उनका मानना है कि प्रशासनिक कामों में बहुत अधिक समय खर्च हो जाता है और उन्हें कोई पहचान भी नहीं मिलती है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)