अहमदाबाद: राज्य सरकार के जलापूर्ति मंत्री कुंवरजी बावलिया ने कहा कि राज्य के प्रत्येक नागरिकों को वर्ष 2047 तक पानी की उपलब्धता 850 क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 1700 क्यूबिक मीटर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के कारण कृषि क्षेत्र में उत्पादन 20 वर्ष में ढाई गुना बढ़ा है। पशुपालन क्षेत्र में उत्पादन 5 गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्ष के दौरान राज्य सरकार के प्रयास से क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल और डार्क जोन में उल्लेखनीय कमी आई है। मोरबी, कच्छ और सौराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का पलायन रुका है, लोग स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। भोपाल में आयोजित देश के 30 राज्यों की प्रथम वार्षिक बैठक में जलापूर्ति मंत्री कुंवरजी बावलिया बोल रहे थे। इसका आयोजन केन्द्र सरकार के जला संसाधन, जल शक्ति मंत्रालय की ओर से किया गया था।
कांफ्रेंस के दौरान मंत्री बावलिया ने कहा कि गुजरात के वाटर विजन और कमी दूर करने के लिए पानी के योग्य संसाधनों का सुनिश्चित उपयोग के लिए श्रेष्ठ आयोजन किया गया है। केन्द्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देश में पहली बार इस तरह के आयोजन के जरिए जल संसाधन, पीने के पानी, सिंचाई व्यवस्था, शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति के उत्पादन, उपलब्धि और उचित उपयोग आदि मुद्दों पर एक साथ चर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि सर्कुलर इकोनॉमी के कारण भारत वर्ष 2047 के अंत तक विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। ऐसे में सभी नागरिकों के लिए जल संसाधन समेत सभी प्रकार के स्वरूपों में उपलब्धता चुनौतीपूर्ण है।
गुजरात के लिए वर्ष 2047 के विजन को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात का विजन चार स्तंभों पर आधारित है। इसके पहले स्तंभ में संसाधनों की उपलब्धता, दूसरे स्तंभ में मांग का उचित नियोजन, तीसरे स्तंभ में जरूरत के अनुसार आपूर्ति का आयोजन और चौथे स्तंभ में जल की स्थिरता लंबे समय के लिए स्थिर करना है। इन चारों स्तंभ को प्राप्त करने के संबंध में गुजरात में चल रही जलापूर्ति योजनाओं और भविष्य की योजनाओं का विवरण दिया। मंत्री ने जल क्षेत्र में गुजरात के पिछले 20 साल की उपलब्धियों से संबंधित प्रजेंटेशन भी दिया। उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र-कच्छ को टैंकर राज से मुक्त किया गया।