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वाराणसी कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा-ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की नहीं होगी कार्बन डेटिंग

gyanvapi

वाराणसीः वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की याचिका को खारिज कर दिया है। इससे हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। हिंदू पक्ष के लोगों ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की थी। न्यायालय ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज करने के पीछे यह तर्क दिया कि इससे शिवलिंग को नुकसान हो सकता है। वाराणसी कोर्ट में लंबे समय से ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग पर सुनवाई हो रही थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आज इस मामले पर अपना फैसला सुना दिया। इस मामले में कोर्ट के फैसले का दोनों पक्षों को बेसब्री से इंतजार था। कोर्ट ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इससे शिवलिंग को क्षति पहुंच सकती है। साथ ही लोगों की आस्था को देखते हुए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

इससे पहले अदालत ने न्यायालय परिसर में दोनों पक्षों से कुल 62 लोगों को प्रवेश की अनुमति मिली। इसके पूर्व दोनों पक्षों को सुनने और आपत्ति दाखिल करने के लिए समय देने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने अदालत में तर्क दिया था कि 16 मई को सर्वे के दौरान मिली आकृति के बाबत दी गई आपत्ति का निस्तारण नहीं किया गया और मुकदमा सिर्फ शृंगार गौरी की पूजा और दर्शन के लिए दाखिल किया गया है। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मिली आकृति को सुरक्षित व संरक्षित करने का आदेश दिया है। वैज्ञानिक जांच में केमिकल के प्रयोग से आकृति का क्षरण सम्भव है। कार्बन डेटिंग जीव व जन्तु की होती है, पत्थर की नहीं हो सकती, क्योंकि पत्थर कार्बन को एडाप्ट नहीं कर सकता। प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना था कि कार्बन डेटिंग वाद की मजबूती व साक्ष्य संकलित करने के लिए कराई जा रही है, ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है। उधर,वादी पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय में दलील दिया कि सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखाई दी। ऐसे में अब वह मुकदमे का हिस्सा है। उस आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच एएसआई की विशेषज्ञ टीम से कराया जाना जरूरी है।

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जांच से आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का तथ्यात्मक रूप से पता लग सकेगा। अदालत में वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह ने प्रतिउत्तर में दलील देने से इनकार कर दिया था। बताते चलें कि अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो।

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