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नेता विरोधी दल पद की मान्यता खत्म करना लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदमः लाल बिहारी यादव

लखनऊः विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के नेता लाल बिहारी यादव ने शुक्रवार को कहा कि विधान परिषद के सभापति द्वारा नेता विरोधी दल पद की मान्यता समाप्त करना गैर कानून नियमों के विपरीत और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि सभापति ने विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली 1956 के नियम-234 का उल्लेख करते हुए नेता विरोधी दल की मान्यता समाप्त करने की जो अधिसूचना जारी की है, वह गणपूर्ति संख्या-10 सदन के संचालन के लिए नहीं जबकि नियम-234 विधान परिषद की कार्रवाई संचालन के लिए है। इस नियम का नेता दल से कोई सरकार नहीं है।

विधान परिषद में सपा विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। सपा विधान मंडल दल के नेता अखिलेश यादव ने सभापति को 26 मई को उनके नाम का पत्र भेजकर नेता विरोधी दल नामित करने के लिए संस्तुति किया था। उसी पत्र के आधार पर सभापति ने विरोधी दल के रूप में मान्यता प्रदान की थी। लेकिन सात जुलाई को अधिसूचना जारी कर नेता विरोधी दल की मान्यता समाप्त कर दी गई।

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नेता विरोधी दल सदन में सम्पूर्ण विपक्ष का नेता होता है। सपा पार्टी बड़ी पार्टी है, लेकिन नियमों का गलत हवाला देकर नेता विरोधी दल की मान्यता समाप्त करना लोकतंत्र को कमजोर एवं कलंकित करने वाला कदम है। यह सदन में विपक्ष की आवाज दबाने और कमजोर करने की साजिश है। सभापति का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या और कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाला प्रतीत होता है।

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