नई दिल्लीः रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाने का त्योहार है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपनी भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है। आजकल बाजारों में कई तरह की राखियां उपलब्ध होती है। लेकिन हिंदू मान्यताओं के अनुसार भाइयों को वही राखी बांधनी चाहिये जो वैदिक रक्षा सूत्र से बनती हैं। रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को होता है, इस बार 11 अगस्त के दिन है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं।
इन पांच चीजों से बनता है रक्षा सूत्र
रक्षा सूत्र बनाने के लिए इन पांच वस्तुओं की आवश्यकता होती है। दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चन्दन और सरसों के दाने। इनको रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी।
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इन पांच वस्तुओं का महत्व
जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उगता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमें सद्गुणों का विकास तेजी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए। दूर्वा गणेश को अतिप्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए। अक्षत हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत न हो सदा अक्षत रहे। केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम न हो। चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव न हो। सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी राखी को सर्वप्रथम गुरुदेव के श्री-चित्र पर अर्पित करें। फिर बहनें शुभ संकल्प कर बांधें।
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