लखनऊः उत्तर प्रदेश में अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला भी नही है कि ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) की समस्या सिर उठाने लगी है। ऐसे में लोगों की चिंता भी बढ़ने लगी है। वैसे ब्लैक फंगस की अधिकतर उन लोगों में ही देखी जा रही है जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था और वह मधुमेह रोगी हो। ऐसे रोगियों के आंखों, फेफड़ों और दिमाग पर इसका सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है। ऐसे रोगियों की आंखों की रोशनी भी खत्म हो जा रही है और इससे प्रभावित कई लोगों की मौत भी हो जा रही है। यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर रहा है। प्रदेश में अभी तक वाराणसी में 20, लखनऊ में 15, गोरखपुर मंडल में 12, प्रयागराज में 6, गौतमबुद्धनगर में 5, मेरठ में 4, कानपुर, मथुरा, गाजियाबाद में 3-3, आगरा में एक मामला सामने आ चुका है।
गोरखपुर मंडल में समाजवादी पार्टी के पार्षद के पति और एक अन्य के दो मामले मिलने के साथ ही ब्लैक फंगस के मामले बढ़कर 12 हो गए हैं। सपा पार्षद के पति को इलाज के लिए लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में भर्ती कराया गया है। दूसरा मरीज लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बता दें कि ब्लैक फंगस के कारण बीमार हुए पांच मरीजों का लखनऊ के निजी अस्पतालों में पहले से ही इलाज चल रहा है। चार अन्य मरीज दिल्ली के अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं ब्लैक फंगस के चलते मेरठ में एक और झांसी में दो लोगों की मौत हो चुकी है।
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क्या है ब्लैक फंगस
डॉक्टरों के मुताबिक ब्लैक फंगस हमारे चारों ओर मुक्त रूप में मौजूद होता है। किसी के शरीर के अंदर इन्फेक्शन को संभव बनाने के लिए इसे एक विशेष वातावरण की जरूरत होती है। यह सामान्यतः नाक, साइनस, आंखों या दिमाग में पाया जाता है।