कांग्रेस के लिए गले की फांस बना ‘बजरंग दल’ का मुद्दा, भाजपा को मिली संजीवनी

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बेंगलुरूः कर्नाटक विधानसभा चुनाव का प्रचार अब अंतिम दौर में पहुंच चुका है। इस बीच सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। वहीं कांग्रेस का जनता से किया गया एक वादा उसी के गले की फांस बन गया है। सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस का यह दांव उसके लिए ही उल्टा पड़ गया और भाजपा ने बजरंग दल पर बैन लगाने को सीधे बजरंग बली से जोड़कर इसे चुनावी मुद्दा बना दिया। भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को हिंदू विरोधी और विशेष रूप से हनुमान विरोधी होने का आरोप लगाया है। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा शुरू हो गयी है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का यह वादा भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित होगा।

कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटों के लिए एक ही चरण में 10 मई को मतदान होना है। चुनाव प्रचार अब आखिरी दौर में है। ऐसे में सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा और कांग्रेस में जोर-आजमाइश जारी है। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में यहां खुद को स्थापित करने के लिए कांग्रेस ने भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दों को लेकर भाजपा को घेरने का पूरा प्रयास किया है। इसी क्रम में कर्नाटक में मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस ने पीएफआई और बजरंग दल पर बैन लगाने का घोषणा पत्र में वादा कर डाला। कांग्रेस को यह पूरी उम्मीद थी कि इससे अल्पसंख्यक समाज उसके साथ मजबूती से जुड़ेगा। लेकिन कांग्रेस का यह दांव उसके लिए ही गले की हड्डी बन गया है। भाजपा ने इस मुद्दे को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला करार देते हुए कांग्रेस पर हिंदूत्व विरोधी होने का आरोप लगाया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी स्टार प्रचार कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान इन दिनों ‘बजरंग बली की जय’ का ही नारा लगा रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर यहां तक कह डाला कि भगवान हनुमानजी तो कनार्टक के ही थे। सीएम योगी के इस बयान ने सरगर्मी को और ज्यादा हवा दे दी है। कांग्रेस का मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने का यह दांव भाजपा के लिए संजीवनी बन गया है। भाजपा इस मुद्दे के जरिए सत्ता हासिल करने के सपने भी संजोने लगी है। बजरंग दल के मुद्दे पर भाजपा को कर्नाटक में चुनाव की लहर को अपने पक्ष में करने का मौका मिल गया है। वहीं अब कांग्रेस इस रूख पर अपना बचाव करने की स्थिति में खड़ी हो गयी है। कर्नाटक में इस मुद्दे ने यहां की राजनीतिक सरगर्मी को बढ़ा ही दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के ‘बजरंग दल’ को बैन करने के मुद्दे का कितना फायदा भाजपा को होगा।

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